- गदर के पत्र कठिनाई यह आन पड़ी है कि हम एक मनुष्य को भी अलग नहीं कर सकते । । जून को एक कड़े माके में हमारे २७० सिपाही काम थाए, जिनमें घायल, मृतक और बीमार सब शामिल हैं। और, इस पत्र के लिखने के समय भी हम बाहर निकलने (हमला करने के लिये तैयार हैं। चारो ओर से आक्रमण की धमकी दी जा रही है। मैंने करनाल को चुनने का अनुरोध इसलिये किया था कि उसका हमारे कैंप से सरलतापूर्वक पत्र-व्यवहार का संबंध कायम किया जा सकता है। दूसरे, वह नगर से इतनी दूर है कि अचानक हमला किसी भी सूरत में नहीं किया जा सकता। मेरठ, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर तक वहाँ से पत्र- व्यवहार किया जा सकता है, और चूंकि वहाँ के नवाब साहब हमसे मित्रता स्थापित करना चाहते हैं, इसलिये स्थानीय उपद्रव का बहुत कम भय है। इस ऋतु में मारकंदर नदी का कुछ भरासा नहीं, इसलिये बारूद व खजानों को इसके निकट न रखना चाहिए। सुना गया है, कोई-कोई बासी शिकारी तोप की टोपियाँ काम में ला रहे हैं, इसलिये तमाम दूकानदारों और अन्य आदमियों से, जो इनको बेचते हैं, इन चीजों के छोन लेने को तुरंत चेष्टा करना चाहिए, जिससे विस्फोटक पदार्थो के समान कोई चीज़ वे अपने पास न रख सकें । सरकार को चाहिए कि वह एक- त्रित सामान पर अधिकार जमा ले, और एक रसीद दे दे।
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