पत्र नं. ५ (जिले बिग्रेडियर जनरल न्यू चैंबरलेन. अँजूटेंट जनरल ने जॉर्ज शानिवारेंस के नाम १२ जुलाई, १८५७ को लिखा था।) कैंप दिल्ली के सामने १२ जुलाई, १८५७ १ वजे दुपहर प्रिय दारेंस! अब जब कि करनाल हमारो रक्षित युद्ध-सामग्री और रसद का डिपो बन गया है। हमें वहाँ पैदल फौज का एक दस्ता रखना चाहिए। और, चूंकि इस कैंप से हम एक बादमीभो नहीं दे सकते। इसलिये हमे पूर्ववत् सिपाहियों की भरतो के लिये पंजाब से आशा रखनी चाहिए। कपया इस समस्या के संबंध में लाहौर से बातचीत कोजिए, और, यदि और सिपाही न मिल सकें, तो कम-से-कम सिख सिपाहियों की चार पल्टनों को प्राप्त करने की चेष्टा कीजिए। हमारा पिछला साग खुला और शांत रहना चाहिए, और यह हमारो भयानक भूल होनी: यदि हम अपने खजानों को अरक्षित दशा में छोड़ जायेंगे। यह पहला ही अवसर है कि मैंने अधिक सेना सांगी है। यह मैं कदापि न करता, पर
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