पृष्ठ:ग़दर के पत्र तथा कहानियाँ.djvu/२८

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पत्र नं.६ (जिसे लेफ्टिनेंट हेनरी नार्मन स्थानापन्न एजूटेंट जनरल ने जार्ज कार्निकवारेंस के नामता• १६ जुलाई, ५७ को लिखा था।) कैंप दिल्ली के सामने १६ जुलाई, ५७ ई. प्रिंय वारेस! चैंबरलेन ने मुझे आपकी १७ ता० की चिट्ठी दी, जिससे मैं एक-दो बातों का जवाब दूं। करनाल के खजाने व तोपखाने का प्रबंध कप्तान नेचबुल के सुपुर्द किया जानेवाला था, परंतु वह बीमार होने के कारण अंबाले ही में रह गए हैं, इसलिये मैंने तोपखाने के किसी डिप्टी असिस्टेंट कमिश्नर को या फीरोजपुर से कर्तव्य पूरा करने के लिये किसी स्थायी कंडेक्टर को बजरिए तार बुला भेजा है । यदि कप्तान नेचबुल स्वस्थ हो गए, तो निस्संदेह प्रथम हुक्म-जो कि मि० लीवेस द्वारा पहुंचाया गया था, यथावत् कायम रहेगा। जो अफसर प्राइवेट छुट्टी पर गए थे, उन सबको वापस आ जाने की आज्ञा १४ मई को दे दी गई है, और इस आज्ञा को कुछ समय बादं दुहरा भी दिया गया था। हमारे महकमे के कप्तान बेकर ने यह इत्तिला दी है कि इस हुक्म की तामील हो