पृष्ठ:ग़दर के पत्र तथा कहानियाँ.djvu/३३

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पत्र नं०८ (जिसे हेनरी प्रेटहेड राजनीतिक सलाहकार ने, जिनकी निकटस्थ सेना देहली पर नियुक्त थी, जॉर्ज कार्निकवारेंस को १५ अगस्त, सन् १८५७ को, लिखा था।) कैंप देहली के सम्मुख १५ अगस्त, १८५७ ई० प्रिय वारेंस, मौलवी रजबअली ने मुझसे यह चाहा है कि मैं आपको यह सूचना दूं कि उन्होंने हकीम बहसन उल्ला के नाम एक पत्र भेजा था, जो मुझे पढ़कर सुनाया गया था । मेरा यह खयाल था कि इससे कुछ हानि न होगी । बल्कि संभव है कि इसकी वजह से हकीम साहब बादशाह और बारियों के भीतरी भेद बता सकें। मौलवी साहब का कथन है कि इसके कारण हकीम साहब की बड़ी वेइज्जती हुई है, क्योंकि वह खत सिपाहियों के हाथ में पड़ गया, जिन्होंने इनके मकान की तलाशी ले डाली-पर इसका विश्वास कठिनाई ही से किया जा सकता है कि हकीम अहसन- सल्लाखों की तलाशी ली गई या इन्हें कुछ हानि पहुँची। कैंप की दशा में उन्नति हुई है । हम हर तरह आराम से हैं। और अभी तक सेना का स्वास्थ्य अच्छा है, जिसके लिये हम