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ग़दर के पत्र


कुछ दिन-दहाड़े हुआ। निकलसन का दस्ता फ़सीलों के चारो ओर मार-काट करता हुआ लाहौरी दरवाज़े के बुर्ज तक पहुँच गया। वह घायल हो गए। युद्ध-सामग्री में कमी हो गई है, और उन पर बाग़ियों ने पलटकर फिर काबली दरवाज़े पर हमला कर दिया। करनेल केंबल का दस्ता, जो वीर मेटकाफ़ की अधीनता में था, अत्यंत सफलता से जामे मसजिद पहुँच गया। उनका इंजीनियर अफ़सर गोली खाकर मारा गया, और रेत के थैले पीछे रह गए। और आदमी हेंडी और ब्राउन इंजीनियर की अधीनता में भेजे गए। हेंडी घायल हुए, और ब्राउन साहब मारे गए। लाहौरी दरवाज़े से कोई सहायता नहीं आई। और, इसलिये केंबल को हटना पड़ा। पहले बेगम के बाग़ की ओर जिसे वह एक घंटे क़ब्जे में रख सके, और तत्पश्चात गिरजा के अहाते में। यह एक नाज़ुक मौक़ा था। हमारे सिपाही थककर चूर हो गए थे। बहुत-से अफ़सर नाकाम हो गए थे। घबराहट बहुत फैल गई थी। यह मालूम हो गया था कि रीड का दस्ता किशनगंज पर क़ब्ज़ा करने में बिल्कुल नाकाम रहा। तोपें लाई गई, और बड़े-बड़े बाज़ारों की ओर मोड़ दी गई। इस तरह पांडे का अंतिम अवसर भी हाथ से निकल गया।

शोक हैं, जमूँ की सेनाएँ जब से अपने पहाड़ी स्थानों से निकली हैं, न सिर्फ बिल्कुल असफल रहीं, बल्कि किशनगंज में पांडों के मुकाबले में इनके हाथ से चार तो भी जाती रहीं। इस कारण उन्होंने रीड के बाज़ओं को खतरे में डाल