पत्र नं. १३ (जिसे सर जॉन लारेंस चीफ कमिश्नर, पंजाब ने जॉर्ज कानिकवारेंसके नाम ११ ऑक्टोवर. सन १८५७ को लिखा था।) लाहौर ११ ऑक्टोबर, १८५७ प्रिय वारेंस! आपने जो ५०) डाकबंगले में उस गरीब लड़की को दिए थे, उन्हें मैं आपकी सेवा में भेज रहा हूँ। मुझे उसका नाम याद नहीं रहा । मुझे आशा है, वह सुरक्षिता अपने स्थान तक पहुँच गई होगी। मैंने सांडर्स को लिख भेजा है कि मौलवी रजब- अली साहब को भेज दें। जो गरीब अपनी सेवाओं को करते हुए घेरे में फंस गए हैं । मुझे मलूल को पंजाब में वापस बुला लेने से प्रसन्नता होगी। और, मैं इनके फायदों का खास खयाल रक्खूगा। तूफान बीत गया । और हमें साँस लेने की फुर्सत मिली । जब मैं बीती हुई घटनाओं पर विचार करता हूँ, तो मुझे इस बात पर आश्चर्य होता है कि हम लोग कैसे अब तक ज्यों-के-त्यों जिंदा उपस्थित हैं, सिर्फ परमेश्वर की कृपा से हम जिंदा बचे हैं। निःसंदेह यह बात हमारी
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