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ग़दर के पत्र


आशा से अधिक निकली कि तमाम पंजाबी पलटनें राज- भक्त हैं। हज़ारा के बारे में मुझे अभी तसल्ली नहीं हुई। मरी में भी कुछ उत्पात होनेवाला था, जैसी कि मैंने आशा की थी। मामलात अभी तक पूरे तौर पर तय नहीं हुए। मैं पिंडों में एक और सेना भेज रहा हूँ, और उस सेना को हटा देना चाहता हूँ, जो लुधियाने में अभी भर्ती की गई है। गोलनेर में बदइंतज़ामी फैली है, और जंगल बहुत घना है। बाग़ियों को सरलता से वहाँ पनाह मिल सकती है। जानपेइन जिन्होंने फ़ौज की कमान की थी, सख्त बुज़दिल निकले। इसलिये कि जब बदमाश इनके हाथ में थे, वे इनका कुछ भी न कर सके। अब इन्हें बुखार चढ़ आया। अब इन्हें अवश्य वापस आ जाना चाहिए। फिर कहीं-कहीं मैं आशा कर सकता हूँ कि सारे मामलात ठीक-ठीक तय हो सकेंगे। सिक्खों की उन दो पलटनों का क्या परिणाम हुआ, जिन्हें रक्टस ने भर्ती किया था। मुझे आशा है, इन्हें छोड़ न दिया गया होगा।

जैसा कि आप जानते हैं, मैं मनुष्यों को अनावश्यक प्रशंसा करने का अभ्यासी नहीं हूँ। अब मुझे अपनी भूल मालूम हुई है। पर जो कुछ भी मैं कहता हूँ, उससे मेरा अभि- प्राय भी वही हुआ करता है। और, मेरी राय में तो आपने बहुत अच्छा किया कि डिवीज़न को दाहनी ओर रक्खा, और सेना की मदद की। आपकी चौकी बड़े खतरे में थी।