विश्व की रचना और संहार। १७३ इच्छा उसमें उत्पन हुआ करती है। उपनिषदों में भी इस प्रकार का वर्णन है कि, भारम्भ में मूल परमात्मा को यह घुद्धि या इच्छा हुई कि हमें अनेक होना चाहिये- 'यहु स्यां प्रजायेय '~और इसके बाद सृष्टि उत्पन हुई (छां. ६.२. ३. २.६)। इसी न्याय के अनुसार प्रत्यक प्रकृति भी अपनी साम्यावस्था को भंग करके च्या सृष्टि के निर्मागा करने का निश्चय पहले कर लिया करती है। अतएव, सांख्यों ने यह निश्चित किया है, कि प्रकृति में व्यवसायात्मिक बुद्धि' का गुण पहले उत्पन्न हुआ करता है। सारांश यह है कि, जिस प्रकार मनुष्य को पहले कुछ काम करने की इच्छा या युद्धि हुआ करती है उसी प्रकार प्रकृति को भी अपना विस्तार करने या पसारा पसारने की धुद्धि पहले हुआ करती है । परन्तु इन दोनों में बड़ा भारी अन्तर यह है, कि मनुष्य प्राणी सचेतन होने के कारण, अर्थात् उसमें प्रकृति की बुद्धि के साथ सचेतन पुरुष का (आत्मा का) संयोग होने के कारण, वह स्वयं अपनी व्यवसायात्मक बुद्धि को जान सकता है और, प्रकृति स्वयं अचेतन अर्थात् जड़ है इसलिये उसको अपनी बुद्धि का कुछ ज्ञान नहीं रहना ।यह अन्तर: पुरुप के संयोग से प्रकृति में उत्पल होनेवाले चतन्य के कारण, हुमा करता है। यह केवल जड या अचेतन प्रकृति का गुण नहीं है। प्राचीन आधिभौतिक सृष्टि-शास्त्रज्ञ भी अब कहने लगे हैं, कि यदि यह न माना जाय कि मानवी इच्छा की बराबरी करनेवाली किन्तु अस्वयंवैध शक्ति जड़ पदाथों में भी रहती है, तो गुरुत्वाकर्षण अथवा रसायन-क्रिया का और लोहबुधक का आकर्षण तथा अपसारण प्रभृति केवल जड़ सृष्टि में ही ग्गोचर होनेवाले गुणों का मन कारण ठीक ठीक यतमाया नहीं जा सकता. धुनिक सृष्टि-शासशों के उक्त मत पर ध्यान देने से सांख्यों का यह सिद्धान्त प्राश्चर्यकारक नहीं प्रतीत होता, कि
- "Withoat the assumption of an atomio soul tho commonost
and tho most general phonomona of Olomistry sro inssplicablo. Pleasure and pain, desire and aversion, attraotion and repulsion must be common to all atoms of an aggregate; for the movements of atoms which must take place in the formation and dissolation of a chemical compound oan bo explained only by attributing to thom Sensation and Will.'.Haookel in the Perigenesis of the Plastidule oited in Martineau's Zypes of Ethical Th:ory, Vol II, p. 399, 3rd Ed. Hacolel himself explains this statement as follows" I explioitly stated that I cruceived the elementary psychic qualities of sensation and will which may be attributed to atoms, be inconscious just as unconscious as the olementary memory, Whiob I, in common with the distinguished psycholo- gist Erald Hering, consider to be a cummon function of all or- ganised matter, or more correctly the living substances. "The Riddle of the Universe, Chap. IX. p. 63 ( R. P. A. Cheap El.),