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पृष्ठ:गीतारहस्य अथवा कर्मयोगशास्त्र.djvu/३५

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गीतारहस्य अथवा फर्मयोगशास्त्र । भारत की नीलकण्ठी; और मास में छपी हुई ब्रह्मानन्दी । परन्तु इनमें से पेशावभाष्य और ब्रह्मानन्दो को छोड़ कर शेष टीकाएँ और निम्बार्क सम्प्रदाय की एवं दूसरी कुछ और टीकाएँ कुल पन्द्रह संस्कन टोकाएँ गुजराती प्रिंटिंग प्रेस ने सभी छाप कर प्रकाशित की है। अब इस एक ही अन्य से सारा काम हो जाता है। गी. र. अथवा गांवार, गीतारहस्य । हमारी पुस्तक का पहल निवन्ध । चं. छान्दोग्योपनियत् । अध्याय, तन्ड सौर मन्त्र । आनन्दाश्रम का संकरण । जै. जैमिनि के नानांसामूत्र अध्याय, पाद और सूत्र । कलकत्ते का संस्करण । तै. अथवा ते. उ. तैतिरीय उपनिषत् । बल्ली, अनुवाक और नन्न । आनन्दाश्रम का संस्करण। तै.ना. तैत्तिरीय ब्राह्मग | काड, प्राक, अनुवाक और मन्त्र आनन्दाश्रम का संस्करण। तै.सं. तैत्तिरीच संहिता । काण्ड, प्रपाठक, अनुवाक और नन्न । दा.अयवा वास. श्रीसमर्थ रामदासस्वामीन दासबोय । धुलिव-सत्कार्यातजक सभा की प्रति का, चित्रशाला प्रेस में छपा हुआ, हिन्दी अनुवाद । ना.पं. नारदपंचरात्र । कलकत्ते का संस्करण । मा.सू. नारदसूत्र । पम्बई का संस्करण । नृसिंह उ. नृसिंहोतरतापनीयोपनियन् । पातंजलसू. पावंजल्योगसूत्र । तुकाराम तात्या का संस्करण । पंच, पंचदशी । निर्णयसागर का सटीक संकंग। प्रश्न. प्रश्नोपनियत् । प्रश्न और मन्त्र । आनंदाश्रम का संस्करण। वृ. अथवा वृह वृहदारण्यकोपनियन् । सन्याय, प्रामण और मन्न | आनंदाश्रम का संस्करण । साधारण पाठ काम्ब, केवल एक स्थान पर मान्दिन शाखा के पाठ का उन्लेख है। त्र.सू. आगे वेसू देतो। भाग. श्रीमद्भागवतपुराण । निर्णयसागर का संकरण । मा.ज्यो. भारतीय ज्योतिःचान । खगाय शंकर बालकृय दीक्षितता मत्स्य. मत्स्यपुराण । आनन्दाम त संस्करण। मनु. मनुल्लति । अध्याय और लोक । डॉ० बाली का संस्करण । मण्डलीक के अथवा और किसी भी संस्करण में यहीक प्रायः एक ही स्थान पर मिलेंगे। मनु पर जो रोशा है, वह मण्डलीक से संतरा है। ममा. श्रीमन्महारत । इसके आगे के बक्षर विभिन्न पदों के दर्शक हैं, नम्बर