पृष्ठ:गीतारहस्य अथवा कर्मयोगशास्त्र.djvu/३४

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गीतारहस्य के संक्षिप्त चिन्हों का व्योरा,और संक्षिप्त चिन्हों से जिन ग्रन्थों का उल्लेख किया है, उनका परिचय । अथर्व. अथर्व वेद । माण्ड, सूत और गाना के कम से नम्बर है। अष्टा. भापकगीता । अध्याय और लोक । अटेकर और मण्डली का गीतासंग्रह का संस्करण । ईश. इंशापास्योपनिपन् । आनन्याश्रम का संस्करण । क. ग्वेद । मण्डल, सूत और माना। ऐ. अयया ऐ. उ. एसरंगोपनिषत् । अध्याय, सड और लोक । पूने के आनन्दा. श्रम का संस्करण । ऐ. ना. ऐतरेय बादाग । पनिका और सर डा. होना का संस्करण । फ. अथवा फठ. कठोपनिषत् । गाली और मन्न । आनन्दाश्रम का संस्करण। केन. केनोपनिषत् (स्वकारोपनिषत् )राण्ड सौर मन्त्र । आनन्दाश्रम का संस्करण। कै. कैवल्योपनिषम् । रा3 और मन्त । २८ उपनिषत, निर्णयसागर का संस्करण । फौपी. कोपीतययुपनिषन् गाया कीपीतकि प्रामणोपनिषत् । अभ्याय और राण्ड । कहीं कही इस उपनिपद के पहले अध्याय को ही प्राणानुजन्म से तृतीय अध्याय कहते हैं। भानन्दाश्रम का संस्करण । गी. भगवद्गीता । अध्याग और लोक । गी. शांभा. गाता शांकरभाष्य गी. रामा. गीता रामानुजमाष्य । आनन्दाश्रमवाली गीता और शांकरभाष्य की प्रति के अन्त में शब्दों की सूची है। हमने निम्न लिखित टीकाणों का उपयोग किया है:-श्रीवेंकटेश्वर प्रेस का रामानुजभाष्य; फुम्भकोण के कृष्णा- चार्य द्वारा प्रकाशित भाग्यभाप्य आनन्दगिरि की टीका और जगद्धितेरछु छापे- खाने (पूने) में छपी हुई परमार्थप्रपा टीका; नेटिव ओपीनियन छापेसाने (यम्बई ) में छपी हुई मधुसूदनी टीका; निर्णयसागर में छ्यो हुई श्रीधरी और वामनी (मराठी) टीका; आनन्दाश्रम में छपा हुआ पैशानभाष्य; गुज- रातो प्रिटिंग प्रेस की पलभ सम्प्रदायी तत्वदीपिका; एम्बई में पे हुए महा.