लार्ड मिन्टोका स्वागत कुछ कहने सुननेकी आशासे हुजूरके द्वार तक गये थे, उन्हें भी उल्टे पांव लौट आना पड़ा। ऐसी आशा अन्ततः प्रजाको आपसे न थी। इस समय वह अपनी आशाको खड़ा होनेके लिये स्थान नहीं पाते हैं। एक बार एक छोटा-सा लड़का अपनी सौतेली मातासे खानेको रोटी मांग रहा था। सौतेली मां कुछ काममें लगी थी, लड़केके चिल्लानेसे तंग होकर उसने उसे एक बहुत ऊंचे ताकमें बिठा दिया। बेचारा भूख और रोटी दोनोंको भूल नीचे उतार लेनेके लिये रो रो कर प्रार्थना करने लगा, क्योंकि उसे ऊंचे ताकसे गिरकर मरनेका भय हो रहा था। इतने में उस लड़केका पिता आगया। उसने पितासे बहुत गिडगिडाकर नीचे उतार लेनेकी प्रार्थना की । पर सौतेली माताने पतिको डांटकर कहा, कि खबर- दार ! इस शरीर लड़केको वहीं टंगे रहने दो, इसने मुझे बड़ा दिक किया है । इस बालककीसी दशा इस समय इस देशकी प्रजाकी है। श्रीमानसे वह इस समय ताकसे उतार लेनेकी प्राथना करती है, रोटी नहीं मांगती। जो अत्याचार उसपर श्रीमानके पधारनेके कुछ दिन पहलेसे आरम्भ हुआ है, उसे दूर करनेके लिये गिड़गिड़ाती है, रोटी नहीं मांगती। बस, इतने- हीमें श्रीमान प्रजाको प्रसन्न कर सकते हैं ! सुनाम पानेका यह बहुत ही अच्छा अवसर है, यदि श्रीमान्को उसकी कुछ परवा हो । ___ आशा मनुष्यको बहुत लुभाती है, विशेषकर दुर्बलको परम कष्ट देती है। श्रीमानने इस देशमें पदार्पण करके बम्बईमें कहा और यहां भी एक बार कहा कि अपने शासनकालमें श्रीमान् इस देशमें सुख शान्ति बढ़ाना चाहते हैं। इससे यहांकी प्रजाको बड़ी आशा हुई थी कि वह ताकसे नीचे उतार ली जायगी, पर श्रीमानके दो एक कामों तथा कौंसिलके उत्तरने उस आशाको ढीला कर डाला है, उसे ताकसे उतरनेका भरोसा भी नहीं रहा। अभी कुछ दिन हुए आपके एक लफटन्टने कहा था कि मेरी दशा [ २२५ ]
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