गुप्त-निबन्धावली संवाद-पत्रोंका इतिहास नामका एक मासिक पत्र निकला। उसने उसी पथ पर चलना आरम्भ किया, जिसे अदीबने एक साल तक चलकर माफ किया था। अदीबके लेव बहुत अच्छे होते थे और उसका सम्पादक किस प्रकारके लेख चुनता था, यह बात ऊपर लिखी लग्वोंकी सूचीसे मालूम होगी। छपता यह इतना अच्छा था कि वर्तमान मासिक पत्रोंमें केवल अलीगढ़का "उदृ- एमुअल्ला ही इतना अच्छा छपता है। उसने उ, साहित्यमें एक नयी जान डालनेकी चेष्टा की थी। पुराने ढांचेके लेवों, व्यर्थ मसग्वरापने तथा गजलोंकी भरमारको छोड़कर अंग्रेजी मासिकपत्रोंकी चाल मोखी थी। अच्छे अच्छे लग्ब लिखनेका मार्ग निकाला था। इसीसे उसके केवल एक साल चलकर बन्द हो जानेसे लोगोंको बहुत अफमोम हुआ. किन्तु लाहोरसे मग्वजनने जारी होकर वह अफसोम दृर कर दिया। मखजन उ के वर्तमान अच्छे मामिकपत्रोंमें “मग्वजन" मबसे पहला है । वहो उमरमें भी मबसे बड़ा है। पर उम बड़ाई पर भी मितम्बरका नम्बर निकल जाने पर वह माढ़े तीन मालका होगा। किन्तु उसकी जिल्द मात हो चुकी हैं। छः छः महीनेमें जिल्द बदलता है। इस से कुछ लोगोंको धोग्या होता है कि वह छः मात सालसे निकलता है। उसके एडीटर शैम्ब अबदुलकादिर बी० ए० एक योग्य पुरुष हैं। उन्होंने परिश्रम करके उमें दो बान पैदा की। एक तो अच्छं लेखक पैदा किये, दुसरे अच्छे लेखोंके मासिकपत्रको पढ़नेवाले। अदीबके मम्पादक सैयद अकबर अलीने अच्छे लेखोंका मामिकपत्र तो निकाला, पर अच्छे लेखक और पत्रको जिलाये र नेके लायक खरीदार न एकत्र कर सके। मखजनके मम्पादकने एक बड़ा भारी अभाव दूर कर दिया । इस समय एक नहीं, कई उर्दू मासिकपत्र अच्छे चल निकले हैं। उन्हें आशा हुई है कि यदि वह हिम्मत न हारंगे तो समय उनकी कदर करेगा । [ २९४ ]
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