पृष्ठ:गुप्त-निबन्धावली.djvu/३८६

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हिन्दी-अखबार इससे जान पड़ता है कि महाराना सज्जनसिंहके मनोरथ बहुत ऊंचे ऊंचे थे। यदि वह कुछ दिन बचते तो वह मनोरथ सफल भी होते । पत्रका मूल्य वार्षिक ६) रखा गया था। यही मूल्य हरिश्चन्द्रजीके पत्रका था । मूल्यके नकशेके नीचे निम्नलिखित नोट दिया गया है- "श्रीआर्यकुलकमलदिवाकरकी आज्ञाके अनुसार यह साप्ताहिक ममा- चार पत्र सज्जन यन्त्रालय उदयपुरमें हर सोमवारको मुद्रित होता है। बिना मोलके किसी वस्तुकी ग्राहकता नहीं होती, इस दृष्टिसे इसका बहुत न्यून मोल रखा है। मेवाड़ वालोंके नाम दरखास्त करनेपर और गैर इलाकेवालोंके पास दाम पेशगी भजनेपर जारी होगा। इसमें उत्तम वार्ता और अपूर्व आशय मुद्रित होते हैं जिनसे विद्या और सुखकी वृद्धि हो और सब लोगोंमें स्नेह बढे।" हम इस पत्रको सन १८८७ ई० से देखते हैं। इन १८ सालमें इसकी दशा प्रायः समान ही चली आती है। भेद इतना ही हुआ कि कुछ साल पहले उर्दू अखबारोंके लेख हिन्दी होकर इसमें नकल होते थे और अब कई सालसे हिन्दी अखबारोंका जोर हो गया है, इससे उन्हींके लेख इसमें अधिक नकल होते हैं। इस समय सजनकीर्तिसुधाकरकी २४ अप्रैलकी संख्या हमारे सामने है, उसीसे हम दिखाते हैं कि आजकल इस पत्रकी क्या दशा है । उसके पहले पृष्ठमें तो हम लिख चुके हैं कि टाइटल है, दूसरे पृष्ठके आरम्भसे विदेशी और देशी "तड़ित समाचार” चले हैं, उनमें ११ अप्रैलसे लेकर १६ अप्रैलके तार समाचार होनेहीसे स्पष्ट है कि उनका अंगरेजीसे तरजमा नहीं हुआ। तीन कालममें तार समाचार हैं। चौथेमें महाराज ग्वालियरके सम्बन्धमें एक लेख है, जो १८ अप्रैलके राजस्थान समाचारसे लिया गया है। तीसरे पृष्ठमें “सजनकीर्तिसुधाकर" नाम देकर नीचे तारीख दी है। अखबारोंमें एक दस्तूर है कि जा लेख सम्पादकके होते हैं, उनके ऊपर अखबारका नाम और तारीख होती है। [ ३६९ ] २४