यह पृष्ठ शोधित नही है
आवहु माय
आवहु आवहु मातागे, सुखको रास ।
मेरे हिय मसान महं मा, करहु निवास ।
दीन दुखिनकी जननी गे, आवहु धाय
हिय-मसानमहं राखी मा. ठांव बनाय
यह हिय मेरो निम दिन मा. घोर ममान :
बीतत है या महं दिन गन, एक समान ::
या हिय महं नहिं प्रेम नेम नहि नेह
या हिय महं नहिं गाम न ठाम न गेह ।
नाहिन या महं प्रीति रीति अझ भाव
नाहिन यामहं रङ्ग न गग न चाव '
नाहिन यामहं बैरो, नाहिन मीन :
नाहिन यामहं हार मात, नहि जीत ।।
अपनो और परायो देस विदेस :
इन सबहीको यामहं नाहीं लेस ।
या हिय महं नहिं माय न बाप न पूत
या महं नाहिन राव न रङ्क न दृत ।
नाहिन यामहं मान नाहिं अपमान ।
नाहिन कुछ हित अनहित करि पहचान !!
नाहिन यामहं कोप न रोस न काम !
नाहिन यामहं धीरज धरम न राम ।
[ ६०५ ]