हरबर्ट स्पेन्सर मिलेगा। बस, चुपचाप पाकेटमें दो शिलिङ्ग डाल घरको चल दिया। पहले दिन ४८ मील पैदल चला; दूसरे दिन ४७ मील और तीसरे दिन २० मील चलकर माताके पास पहुंच गया। मारे गह गेते गेते गया, कहीं न ठहरा। उस समय वह कोई १३ सालका था। इस घटनासे उमकी एकाग्रता, उत्साह और दृढताका ग्वब परिचय मिलता है। ____जवानीमें भी उसने लिग्वना पढ़ना न सीखा। अंग्रेजी व्याकरणका उसे कुछ होश न था। कभी अच्छी अंग्रेजी न लिख सका। इतिहास नहीं पढ़ता था। कहता- "इतिहासमें झूठी बात भरी रहती हैं, उनकी आलोचनासे क्या लाभ है ? यदि इतिहासमें मनुष्य-ममाज विशेषके क्रम-विकासक पर्यायकी व्याख्या होती तो पढ़ता ।” मारांश यह है कि जिसे सब लोग पण्डित और शिक्षित कहते हैं, स्पेन्सर उनमेंस कुछ न था। कवि शैली, दार्शनिक प्लेटो, मन्दर्भकारोंमें कारलाइलका लख उसे कुछ कुछ पसन्द था। वह अङ्कशास्त्र जानता था। एक सिविल इंजिनियरके साथ उसने चार पाँच साल रेलका काम किया । वह संसार में अधिक किसीकी परवाह न करता था। __उसने विवाह नहीं किया। इसका कारण स्वयं लिखा है-..“ मेरे बहन न थी, एक बूढ़ी माता थी, इससे कोई स्त्री हमारे यहां नहीं आती थी। स्त्रियोंके साथ रहनेका अनुभव मुझ कभी न हुआ। अवस्था मन्द थी, इससे विवाहकी बात कभी सोची भी नहीं । पीछे जब अवस्था अच्छी हुई तो सिरमें बहुत भारी पीड़ा आरम्भ हुई। मेरे मित्रोंने विवाह करनेपर जोर दिया। एक लड़की भी मिली। मेरी “सोशल प्टेटिक्स' पढ़कर मुझे देखने एक स्त्री आई। बात हुई। पर दोनोंने दोनोंको नापसन्द किया। मैंने सोचा, इतनी पढ़ी लिखी स्त्रीको लेकर क्या घर बसेगा। यह मुझसे भी तेज उद्धत और स्वाधीन प्रकृतिकी होगी। क्या जाने क्या हो, इसीसे पोछे हटा। युवतीने भी मुझे [ ५१ ]
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