अकबरका समय रानी एलिजाबेथका भेजा हुआ न्यूबरी नामका एक अंग्रेज अकबरके दरबारमें पहुंचा । वह उक्त रानीकी ओरसे एक चिट्ठी लाया था, जो उसने अकबरके हवाले की थी । फतेहपुर सिकरीमें सलीम चिश्ती रहते थे, जिन- पर अकबरको बड़ी भक्ति थी। वहीं उसके बड़े बेटे जहाँगीरने जन्म लिया था। आगरेसे उक्त स्थान १२ मीलके फासलेपर था। वह १२ मीलका रास्ता ऐसा आवाद था कि जाने आने वालोंको यही मालूम होता था, कि वह किसी बड़े शहरमें फिर रहे हैं। न्यूबरीके साथ फिश नामका एक और अंग्रेज भी आया था। वही जीता लौटकर विलायत पहुंचा था। उसने अपने सफरनामेमें लिग्वा है-“हमलोग गोआसे भागकर बुरहानपुर आये थे । गोआमें पुर्तगीजोंने हमें कैद कर लिया था। बुरहा- नपुरसे आगरे आये । आगरा एक बड़ा और आवाद शहर है। उसमें पन्थरकी इमारत हैं, रास्ते बड़े और चौड़े हैं। जमना नदी उसके किनारे बहती है, जो बंगालकी खाड़ी में गिरती है । आगरेमें एक किला है, जिसकी खाइयां बहुत चौड़ी और दृढ़ हैं। यहाँ बहुतसे मूर और जेण्टिल (मुसल- मान और हिन्द) हैं । बादशाहका नाम जलावदील एकेबर ( जलालुद्दीन अकबर ) है । यहाँके निवासी उसे ग्रेट मुगर (मुगल) कहते हैं। आगरेसे हमलोग फतेहपुर सीकरी गये । यही बादशाह दरबार करता है। यह शहर आगरेसे बड़ा है. पर उसके मकान और रास्ते आगरेसे अच्छे नहीं हैं। लोग कहते हैं कि बादशाहके पास १ हजार हाथी, ३० हजार घोड़, १४०० हरन और ८ सौ हरम है। सोना, शेर, मुर्ग, भैंसे और बाज उसके पास इतने हैं कि देखकर आश्चर्य होता है। दरीखानेमें बादशाह- का दरबार होता है। यहाँ लोगोंके पास बहुतसी सोने चांदी और रेशमसे मण्डित बहलियाँ हैं, जिनके दो-दो पहिये हैं और जिनमें बैल जुड़ते हैं । फारिस और दूर-दूरके सौदागर यहाँ सौदागरीके लिये आते हैं । ज्यादा- तर रेशम, रेशमी और सूती कपड़ा, लाल, हीरे, मोतीका व्यापार होता है। [ ६३ ]
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