पृष्ठ:गोरा.pdf/७८

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जीवित दशामें हम उससे बचे रहते हैं किन्तु मरते ही सड़ जाते हैं। यदि आपमें स्वदेशानुराग नहीं है तो आपसे देशकी त्रुटियों का संशोधन होना कदापि सम्भव नहीं। इस प्रकार समाजसे विरुद्ध हो आप संशोधन करना चाहेंगे तो यह बात हम लोग सह्य न करेंगे, चाहे आप लोग हो या पादरी हो ।' हारान बाजूने कहा-'क्यों न कीजिएगा ?" गोराने कहा-"न करनेका कारण है.-माँ बापकी नसीहत सहकी जाती है किन्तु पहरेवाले नौकरकी नसीहतमें फलकी अपेक्षा अपमान बहुत बढ़कर है । वैसा संशोधन स्वीकार करने में मनुष्यत्व नष्ट होता है । पहले आप अात्मीय हो लें पीछे संशोधक हो, नहीं तो आपके मुँहकी भली बातसे भी हमारा अनिष्ट ही होगा। इस प्रकार गोरा और हासन बाबू के वीच जो बातें हुई थी वे एक एक कर सब सुचरिताके मनमें आने लगी । और इसके साथ साथ उसे एक अनिर्दिष्ट दुःखका अनुभव भी होने लगा ! थककर वह बिछौने पर लौट आई और इन चिन्तात्रोंको ने दूर कर सोनेकी चेष्टा करने लगी पर उसे नींद न आई । मन