पृष्ठ:गोर्की की श्रेष्ठ रचनाएँ.djvu/१३३

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मोडवोया की लड़की १३५ खाते ? उ ३ समय तक खाते रहो जब तक कि मजदूर वर्ग की पूर्ण विजय हो , जब सारे भिखारिया को समोसे खाने को मिलेंगे ...... अभी उसमें बहुत देर है ! " - " कम से कम तुम अपना हिनहिनाना तो बन्द करो ? " पावेल ने गम्भीर होकर कहा - " इससे कोई फायदा नहीं होगा . .. " "यह ठीक है ! " वालेक ने अपनी सहमति प्रकट की - तुमने कहा हो है - इससे कोई फायदा नहीं होगा . .. " कुछ मिनटों तक खामोश रहकर उसने फिर कहा " तुमने देखा, मैंने तुम्हारे बूट सी दिए हैं ? " तुम सन्तुष्ट हो ? " " धन्यवाद । " दाशा , इस धन्यवाद का अचार डाल लो , दालोगी न ? जब भंडार में कुछ नहीं रहेगा तो मैं इन्हे साऊंगा । " खिड़को के शीशों पर वर्षा की चूदें टकरा रही धों , घर के सबसे ऊपरी हिस्से में हवा टकरा कर शोर मचा रही थी और किसी चीज को जोर से हिलाती हुई टनटनाहट को धनि उत्पन्न कर रही थी । घर को एत पर एक चीद का पद चरमराया । कहीं एक सुली हुई सड़की जोर से चन्द हुई । सिटकनी की खरसपाहट सुनाई दी , वर्षा का संगीत पानी के पीपे में पदकर सिसकियों में बदल गया । कमरे में एक उदासी छा गई । कम । मुनी हुई प्याज, महामार कोदनार को गन्ध से भर उठा । याकोर ने देखा कि उसकी लडकी ने वातावरण की गम्भीरता को भोप लिया है । यह सर को पार शक्ति और प्रश्नावर यानी से देखने लगी चौर टरका छोटा सा चंग इन मार सिद रठा जमे रोने में पाने हो जाना । मलदो को क्या हो रहा है ? जप ही उमने गोरे की बार देखा गोगा और पाने को नगी मानने लगा ।