पृष्ठ:गोर्की की श्रेष्ठ रचनाएँ.djvu/१३४

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मोड वीया को लड़की - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - -- - - - - - - - - - - - - - - - - - " बच्ची, यहाँ मेरे पास श्रायो, उसने अपनी बाँहें फैलाते हुए उसे बुलाया । परन्तु जव भोल्गा उसके पास जाने के लिए नीचे कूदी वो माँ ने उसे पकड़ लिया और चीखीः "वहाँ जाने की हिम्मत मत करना ! " अोल्गा रोने लगी । उसका चेहरा उसकी माँ की गोद में छिपा हुमा था परन्तु उसकी माँ उछल कर खड़ी हो गई, बच्ची को एक कोने में धकेल दिया " सो जा , शैतान । मुझे अपनी झलक भी मत दिखाना. " पावेल भी खदा होगया । उसका चेहरा तमतमा रहा था । उसके शरीर में सिहरन की लहर दौड़ गई । " अगर तुमने , " अपनी स्त्री के पास जाते हुए वह वोला - "फिर कभी ऐसा किया तो " स्त्री ने उद्यत की तरह उसके सामने अपना चेहरा करके दुख और घृणा से भरकर कहा . " मुझे मारोगे , श्रामो मारो " उसके वाप ने जूता वनाने का एक फर्मा उठा लिया और चारों ओर नाचते हुए चिल्लाने लगा " अच्छा, यह वात है, उँह ? तुम्हें यहाँ हमारा हुक्म मानना ही पड़ेगा " पावेल ने स्त्री को एक तरफ धकेल कर अपनी टोपी उठाई और तेजी से वाहर चला गया । वह पानी में भागते हुए हताश होकर सोच रहा था " अगर वह वीच में न बोलता तो मैं " गन्ले पानी की धारायें उससे मिलने के लिये दौड़ी हुई पाई और टमके पर धोने लगी । हवा उसके चेहरे पर वर्षा को मिहरन उत्पन्न करने वाली तीसो बौदार मारने लगी । और अब यह फिर उस लड़की के कमरे में मेज पर बैठा था । उसकी -- -