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पृष्ठ:गोर्की की श्रेष्ठ रचनाएँ.djvu/१४६

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१४८ मोड्वीया की लड़की के अतिरिक्त और कहीं नहीं लिखी गई , जिन्हें कहने में आदमी शरमाता है और जिन्हें कहना बड़ा जरूरी है नहीं तो मन को बड़ी वेदना होती है । उसने चमकती हुई नीली आँखों के एक जोड़े में देखा और भूल गया कि वे आँखें भेदी थीं । लिजा का हाथ उसके सिर पर , उसके कन्धे पर कांपा । वह उसकी उद्विग्नता को समझ रही थी । पावेल ने उसे अपने घुटनों पर बैठा लिया और अचानक हृदय में एक टोस और उत्तेजना का अनुभव कर उसके खुरदरे गर्म गालों और होठों को चूम लिया । " कोई बात नहीं, प्यारे " उसने आँखों को फैलाते हुए कहा “ तुम सफल होगे , यह सब बीत जायगा ? कभी कभी वह लिजा की गोदी में सिर रख कर गहरी नींद सो जाता । वह उसके उठने के समय तक चुपचाप बैठी रहती और एक दयालु नर्स की तरह उसके सिर को थपथपाती रहती । पावेल अपने साथ एक शखबार लाता, घने अक्षरों में पास पास छपे हुए पन्ने को मेज पर फैमाता और उसके कार मुझ कर गम्भीरता पूर्वक अपने यूरोप के और सारे ससार के कामरेडों के विषय में , उनके अथव प्रय नों और संघों के विपय में पढ़ने लगता | पार्टी के लीढरी के विपर में और प्रतिदिन के जीवन सघर्प में भाग लेने वाले बहादुर व्यक्तियों वे बारे में बातें करता । वह चुपचाप , स्थिर बैठी रहती । कभी कभी ही कोई सवाल पूछत परन्तु पावेल पूर्ण प्राश्वस्त रहता कि वह लड़की उसकी बातों को पूरी तरह समझ रही है । उसने गौर किया कि जव महापुरपा थोर धर्म प्रचार का नाम लिय जाता तो लिजा का चेहरा पासाधरण रूप से गम्भीर हो उठता और उस नेन परियों की कहानी सुनते हुए बच्चे की प्रॉखो की तरह चमक उठते फभी कभी उसकी उम जमी हुई निग ह में घबड़ाहट सी दिसाई देती जिर देखकर उसे एक चतुर वफादार कुत्ते की निगाह का ध्यान पा जाता ज किती चीज को गौर से देख रहा हो और जिसकी विशेषता को स्वर उनी का पशु हृदय समझने में समर्थ हो । एसे क्षणों में उसे लगता