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पृष्ठ:गोर्की की श्रेष्ठ रचनाएँ.djvu/१४७

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मोइवोया की लको १४६ यह धीरे बोलने वाली , मोटी लड़की किसी भी काम को करने के लिए पूरी तरह से योग्य थी - अक्सर वह पटती : " तुमने कौन से नाम यता ? " कुछ देर रुक यह विलकुल स्पष्टता से उन नामों को दुहराती और एक बार फिर पूछती : " इनका रूपी भाषा में क्या नाम होगा ? " " मैं नहीं जानता । हमारे यहाँ ऐम नाम नहीं होते . . " " क्या हमारे यहाँ ऐसे पवित्र शहीद नहीं हुए है ? " यह शक्ति और हताश होकर पूढतो । पायेल सिलखिलाकर हँस उटता । " पवित्र शहीद मामारें हमारे मार्ग में नहीं थाती, मेरो धारी लड़की ! हम नर्क में रहते है, वे यहीं पैदा नहीं होती " "ये पैदा होंगी ! " लिजा ने एकबार घोपणा की । उसको वह पनि बड़ी अद्भुत सी लगी, जमे श्राधी रात के बाद घण्टे का पहला शब्द, रात के अंधेरे में : दिन के उपन्न होने की सूचना देता है । पावेल ने छपने दोस्त के चारे को और ईसा परन्त पहों उसे कोई विशेषता नहीं दिखाई दो । कुछ देर तक सोचने के उपरान्त उसने पुला : "तुम इन नामों के विषय में प्यों पूछतो हो ? " टमने विना जपाय दिए सिर झुका लिया । तय पावल रे धार में उसका सिर उपर उठाया और इसने उए घोला : " हो सकता है कि तुम उनके लिए प्रार्थना करने का विचार करवी " समे क्या हुा " टमने कहा - " मैं माही करनी है । फेल में बिना नाम लिए प्रार्थना करती है । दिलपुल साधारण रूप में भगमन इन लोगों की मदद करे जो दूसरों को मनाई करने ! मनसे मी उदास हो , परन्तु मुझे परवाह नहीं । "