पृष्ठ:गोर्की की श्रेष्ठ रचनाएँ.djvu/१९६

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भावारा प्रेमी आई है और चर्च जा रही है । मैं यहुत गरीव हूँ । यही वजह है, अगर मेरे पास खूब धन होता तो मैं देहात में अपने लिए एक छोटी सो रियासत खरीद लेता और भले प्रादमी की तरह रहता ... . " देखो ? " • चार बिखरी गाड़ियों वाले व्यकि चीद का बना हुश्रा सादा मुरदा रखने का एक बक्स लिए हुए बगल की एक गली में से निकले । उनके आगे मागे उस वक्स का ढक्कन सिर रखे एक लड़का चल रहा था और उनके पीछे गड़रिए को सी लाठी हाय में लिए एक लम्बा भिखारी था । उसका चेहरा कठोर था और ऐसा लगता था मानो पत्थर में से काट कर गढ़ दिया गया हो । चलते समय उसके लाल टोरों से भरे हुए नेत्र उस मुरदे की भूरी नाक पर जमे हुए थे जो खुले हुए बक्स में से दिखाई दे रहे थे । " वह यदई मर गया होगा , " शाम्का ने सन्देह प्रकट किया और सिर से टोपी उतार ली - “ परमात्मा उसकी श्रात्मा को शान्ति दे और सम्बन्धियों और मित्रों से उसे सदैव दूर रसे । " उसका चेहरा मुस्कराहट से भर गया और स्वच्छ नेत्र प्रसन्नता से • चमक उठे । " मार्ग में मुरदे का मिलना अच्छा शकुन माना जाता है " उसने यताया और कहा, " चले पायो । " इम लोग मोस्कया नामक सराय में पहुँचे धौर मेज कुमियों से भरे हुए एक छोटे से कमरे में घुसे । मेजॉ पर गुलाबो कपदे बिहे थे । सिरियों पर नीले रंग के परदे पदे ये जिनका रंग धुधला पड़ गया था । खिड़कियों को देहली पर गुलदस्ते सजे हुए थे और उनके उपर पिंजदों में छोटी २ चिदियों चटक रही पी । स्थान हवादार , गर्म और भाराम देह था । हमने मसालेदार सला हुमा माँस, चाय, याची बोतल चोदका ( राय ) धौर पीशन दाप की एक दर्जन सिगरेट लाने को धाज्ञा दो । शारका खिट्की के पास एक मेज पर बैठ गया और एक भलं मादमो की घरह धाराम में बैठकर बातें करने लगा : ___ ममें वह सम्यतापूर्ण और सरल जीरन RET लगता " उसने