पृष्ठ:गोर्की की श्रेष्ठ रचनाएँ.djvu/२१२

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२ . ४ श्रावारा प्रेमी - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - मेरे ईश्वर । मैं अपने आप सोचने लगता हूँ — यह सब मुण्ड की मुण्ड प्रासिर क्यों हैं । इनमें से हरेक किसी न किसी को प्यार अवश्य करेगी और यदि वे अब नहीं करतीं तो कल तो उन्हें अवश्य ही प्यार करना पड़ेगा या अधिक से अधिक एक महीने बाद तो अवश्य ही । वह एक ही बात है । इससे कोई अन्तर नहीं पड़ता । मैं तो केवल यही मानता हूँ । यही जीवन है । क्या जीवन में प्यार से भी अच्छी और कोई चीज है ? सोचो जरा - रात क्या है ? प्रत्येक व्यक्ति आलिंगन और चुम्वन में व्यस्त है । ओह , भाई, यही सब कुछ है, तुम जानते हो , यह एक ऐसी चीज है जिसका तुम केवल अनुभव भी कर सकते हो , उसे बता नहीं सकते । यह स्वर्ग है - वास्तविक स्वर्ग । उघन कर वह बोला - " श्राओ घूमने चलें । " आकाश भूरे वादलों से ढका हुआ था , धूल के कणों की भाँति वर्षा की छोटी छोटी कुहियाँ पड़ रही थीं - हल्की सूखी सी ठंद थी । परन्तु शाश्का , हर बात से ये-फिकर , हर बात को भुला देने वाला, अपनी हस्की जाकेट पहने बराबर बातें करता जा रहा था - दूकानों की खिड़कियों में रखी हुई प्रत्येक वस्तु के विषय में जो उसकी नजर में पड़ जाती - जेकटाईयों, रिवाल्वर, खिलौने , स्त्रियों के प्राक , मशीनें , मिठाइयाँ और चर्च में पहने जाने वाले लवाटे श्रादि सभी वस्तुओं के विषय में वह लगातार बातें किए चला जा रहा था । अचानक उसकी निगाह एक थिएटर के बढ़े चढ़े टाइप में छपे हुए इश्तहार पर पढ़ी । " यूरियल अकोप्टा । मैं उसे देख चुका हूँ । तुमने देखा है ? ये यहूदी खूब बात करते हैं ! है न ऐसी बात ? तुम्हें याद है ? यह सव भूठ है । एक प्रकार के व्यक्ति स्टेज पर मिलते हैं और दूसरे प्रकार के