पृष्ठ:गोर्की की श्रेष्ठ रचनाएँ.djvu/२३६

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नमक का दनदन भी मनुष्य को जानवर बना देने के लिए काफी है । सारे दिन पाम , सिर्फ काम, अपनी पूरी प्रादमनी शराब में उड़ा डालो और फिर काम पर पा जुटो । और यही इस जिन्दगी का प्रारम्भ और अन्त है । जब तुम इस तरह पाँच साल गुजार देते हो तो फिर तुममें जरा भी इन्सानियत वाको नहीं बचता - पूरै जानवर बन जाते हो । ऐसी है यह जिन्दगी । सुनी दोस्त, हमने तुम्हारे साथ जो मजाक किया है, हम आपस में तो उससे भी खराब मजाक करने के बादी हैं । और कहने को हम लोग दोस्त हैं जबकि तुम एक नए पाने वाले आदमी हो । तो हम तुम्हारे ऊपर रहम क्या करें ? इसीलिए तुम्हें यह भुगतना पड़ा । तुमने जो बातें हमसे कही हैं उनसे क्या होता है ? तुमने ठोक बात कही है - यह सब ठीक है- मगर यह हमारे लायक नहीं है । तुम्हें इसका इतना पुरा नहीं मानना चाहिये । हम सिर्फ मजाक बना रहे थे । और भाखिरकार हमारे भी दिल है । अच्छा यही होगा कि तुम यहाँ से चले जायो । तुम अपने तरीके से सोचते हो और हम अपने तरीके से । इस थोड़ी सो भेंट को ले लो और यहाँ से चले जाओ, दोस्त । हमने तुम्हारे साथ कोई युराई नहीं की है और तुमने भी हमारा कोई नुकसान नहीं किया । यह ती मेले काम का पुरा नतीजा मिला है मगर तुम थोर क्या उम्मीद करते हो ? हमारे साथ भी तो कोई भलाई नहीं करता । और तुम्हे यहाँ किमो मो बजा, से नहीं ठहरना चाहिए । तुम इस पातावरण के योग्य नहीं । हम लोग तो एक दूसरे के थादी हो चुके हैं और तुम - तुम हमारे वर्ग के व्यक्ति नहीं हो । म कोई लाभ नही होगा । इसलिए अच्छा यही होगा कि सुम चले जानी । अपना रास्ता पकड़ी, सलाम । " मने उन पर की तरफ देसा । यह स्पष्ट था कि ये सब मट्यो से सक्ष मत में इसलिए मैंने अपना येला अपने कन्धं पर डाला और चलने को तैयार सो गया । एक मिनट सारी, मुझे भी एक शब्द का बने दो, " मेरे कन्धे पर ना हाय रम्पत हुए किन-दिासी ने कहा " गर तुम्हारे मना कोई होता तो में यादगार बनाए रखने के लिए घूसे में टमका जपदा Bार देवा । मगर कोई भी मुम पर हाप नहीं हारा भार हमने गे गुन्द एक