पृष्ठ:गोर्की की श्रेष्ठ रचनाएँ.djvu/२६८

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दो नन्हें बच्चों की कहानी शाचे बाहर को निकलने की सी लगती तो गम्भीर मिश्का नाराज होकर कहता. " इतनी तेजी से भागी जा रही हो , मैडम । " जिसे सुन कर उसे बडे कौर को तेजो ने निगलने के प्रयत्न में काका ___ की दम घुटने लगती और यह मेरी कहानी का अन्त है । मुझे इस बात का तनिक भी पद्धतावा नहीं है कि यह बताऊँ कि इन वा ने वह शाम कैसे समात की । तुम इस बात का पूरा विश्वास कर सकते हो कि उनका ठिठुर कर मर जाने का कोई भय नहीं है । वे जोषित है । श्राखिर मैं उन्हें ठण्ड से ठिठुरा कर क्यो मार ढालू । मैं इस बात को सबसे बडी बंवफूफी समझता हूँ कि उन बच्चों को ठण्ड में ठिठुरा कर मार डाल जिन्हे एक दिन इस तरह मरना ही है जो इससे अधिक स्वाभाविक श्रार माधारण इन होगा ।