पृष्ठ:गोर्की की श्रेष्ठ रचनाएँ.djvu/६

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मालवा


कोमल, पुष्ट, गोल भुजाओं से प्रालिंगन में बाँध लेगी और जोर से चुम्बन करते हुए उसे वधाई देगी जिसे सुनकर समुद्री चिड़ियाँ भयभीत हो उठेगी। फिर वह उसे तट पर होने वाली हलचलों का समाचार सुनायेगी। साथ २ वे दोनों बढ़िया खाना बनाऐंगे, बोदका पीएंगे और वालू पर लेट कर वा करते हुए एक दूसरे को प्यार करेंगे और फिर जब शाम की छायायें लम्बी हो उठेंगी केतली चढ़ा देंगे, जायकेदार विस्कुटों के साथ चाय पियेंगे और फिर सोने चले जायेंगे । हर इतवार और प्रत्येक छुट्टी वाले दिन वहाँ यही होता था । वड़के ही वह से हमेशा की तरह किनारे पर ले जायगा-शान्त, चिकने समुद्र के पार ऊषा के उज्ज्वल प्रकाश में वह नाव के पिछले हिस्से में बैठी हुई झपकियाँ लेती रहेगी और वह नाव खेते हुए उसे देखता रहेगा । ऐसे अवसरों पर वह कितनी विचित्र दिखाई देवी यो-विचित्र परन्तु थाकर्पक, प्यार करने लायक एक स्वस्य मोटो ताजी विल्ली की तरह । सम्भव है वह अपनी सीट से नीचे सरक कर नाव के पेड़े में लेटकर गहरी नींद में सो जायगी। वह अक्सर ऐसा करती थी.........। उस दिन समुद्री चिड़ियां भी गर्मो से न्याकुल हो उठी थीं । कुछ बालू पर एक कवार में अपने ढ़ने लटकाए और चोर्चे खोले बैठी हुई थीं। कुछ लहरों पर चुपचाप अपनी स्वाभाविक लालची आदतों को काबू में रख, धीरे धीरे तैर रही थीं। वासिली को ऐसा लगा कि नाष में मालवा के पास कोई और बैठा है। क्या सोझका ने पुनः उसे जाल में फंसा लिया है ? वासिलो ने चालू पर गहरी करवट ली, उठकर बैठ गया और खिों पर हाथ को छाया करते हुए समुद्र की तरफ चिन्तत होकर देखने लगा कि नाव में दूसरा और "कोन है। मालवा पिछले हिस्से में बैठी हुई पहिए को घुमा रही थी। पतवार चलाने वाला सर्योमका नहीं था। उसे खेने का अभ्यास नहीं था। अगर सोझका उसके साथ होता तो मालवा पहिया नहीं घुमाती । "एहो!" वासिनी अधीर होकर चिल्लाया।