पृष्ठ:गोर्की की श्रेष्ठ रचनाएँ.djvu/६१

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मालवा है... . एक वार मैंने एक जेमस्तवो डाक्टर की कोचमैनी की थी और वहाँ उनके बारे में बहुत कुछ देखा । . वाद में मैं बहुत दिनों तक सड़क पर रहा । कभी तुम किसी गाँव में जाओ और रोटी का एक टुकड़ा माँगो तो वे तुरन्त तुम्हें पकड़ कर बाँध लेंगे । तुम कौन हो ? क्या करते हो ? तुम्हारा पास पोर्ट कहाँ है ?. ... मेरे साथ ऐसा कई बार हो चुका है.. .. कभी वे तुम्हें घोड़े चुराने वाला समझकर पकड़ लेंगे और कमी बिना किसी कारण के हो तुम्हें पत्थर के हौज में डाल देंगे वे हमेशा नाक फिनफिनाते रहेंगे और यह दिखायेंगे कि वे गरीब हैं , परन्तु वे जीना जानते हैं । उनके पास कुछ तो अपना है - जमीन -जिसे वे अपना समझते हैं । मेरा उनका क्या मुकाबला ? " " तुम किसान नहीं हो ? " मालवा ने उसे टोकते हुए पूछा । " नहीं " सर्योझका ने गर्व से कहा "मैं शहरी हूं । मैं उग्लिच शहर का नागरिक हूँ । " " और मैं पावलिश की रहने वाली हूँ ," मालवा ने शान्त स्वर में उसे बताया । __ "मेरा ऐसा कोई नहीं जो मेरे लिये खड़ा हो सके " सोझका ने / कहना जारी रखा -- " लेकिन ये किसान. . वे रह सकते हैं शैतान । उनका जेमस्तवो है और इसी तरह की और भी चीजें हैं " “ जेमस्तवो क्या है ? " मालवा ने पूछा । " जेमस्तको क्या है ? शैतान जानता है । यह किसानों के लिये बनाया गया था । यह उनका शासन है . . मगर इसे गोली मारो . .. मवलव की बातें करो - तो इस छोटे से मजाक का इन्तजाम करना चाहिए, क्यों ? इससे कोई नुकसान नहीं होगा । उनमें खाली लड़ाई होगी - खाली इतना ही , वासिली ने तुम्हें मारा था , मारा था न ? अच्छा तो उसके बेटे को ही उसे सजा - देने दो । " "यह विचार बुरा तो नहीं है । " मालवा मुस्कराती हुई वोली । " जरा सोचो . .. जब तुम्हारी खातिर दूसरे श्रादमी एक दूसरे की पसलियाँ तोहे गे तब मुझे उस दृश्य को देखकर मजा नहीं पायेगा ? और वह भी केवल तुम्हारे एक इशारे पर ? तुम अपनी जीभ केवल एक या दो बार