पृष्ठ:गोर्की की श्रेष्ठ रचनाएँ.djvu/६५

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६६ নলিনী • ~ ~ " तुम्हारा बाप तुम्हें घर जाने के लिए कह रहा है और तुम उस पर हसते हो , क्यों ? " उसने जवाब तलब किया । " शनिवार को नौकरी छोड़ दो और जल्दी घर चले जायो । सुन रहे हो मैं क्या कह रहा हूँ ? " "मैं नहीं जाऊंगा ! " याकोव ने सिर हिलाते हुए दृढ़ता और अक्खड़ता से कहा । __ "तुम नहीं जानोगे, क्यों ? " वासिली गरजा और हाथों को पीपे पर टिका कर खड़ा होगया । - " तुम समझते हो कि किससे बातें कर रहे हो ? क्या तुम कुत्ते हो जो अपने बाप पर भौंकते हो ? तुम भूल गए कि मैं तुम्हारे साथ क्या कर सकता हूँ ? क्या तुम भूल गए ? " उसके होठ कापे , चेहरा विक्षोभ सं सिकुड़ गया , नसें उमर भाई । "मैं कुछ भी नहीं भूला हूँ , " बाप की ओर बिना देखे हुए धीमी थावाज में याकोव ने जवाब दिया । " मगर तुम्हें तो सब वात याद हैं न ? तुम पहले अपनी तरफ देखो ! " "मुके उपदेश देने की हिम्मत मत करो ! मैं मारते मारते तुम्हारा मुरता वना दूंगा । " याकोव वाप के हाथ को बचा गया , जैसे ही उसने उस पर चोट की और दोस भींच कर बोला : " मुझे छूने की हिम्मत मत करना • तुम गाँव में घर पर नहीं हो । " " खामोश । में तुम्हारा बाप हूं - चाहे कहीं भी हूँ " " तुम मुझे यहाँ गाँव के पुलिस थाने पर कोड़ों से नहीं पिटवा सकते । यहां तो थाना है नहीं " याकोव ने उठते हुए और अपने बाप के मुंह पर हमते हुए कहा । वासिली लाल याखें किए खड़ा था । वह धागे को सिर मुकाए . मुट्टी बांधे , वोदका की गन्ध मिली हुई गरम सांसें अपने बेटे के मुंह पर छोड़ रहा था । याकोव पीछे हटा और नहि नीची कर वाप की प्रत्येक गतिविधि को देखने लगा जिससे वह उसकी चोट को बचा सके । वाहर से