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पृष्ठ:गोर्की की श्रेष्ठ रचनाएँ.djvu/७२

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मालवा यह कि अगर वह गिरा न होता तो अपने बेटे को पकड़ लेता । झपड़ी में सब सामान तितर बितर हो गया था । वाग्निली ने बोदका की बोतल के लिए चारों ओर देखा । उसने उसे चोरों के ऊपर पड़ा देखा और उठा लिया । अशोतल को डाट कमी हुई थी इसी से वोदका फैलने से बच गई थी । वासिली ने धीरे से बाट निकाली और बोतल का मुंह होठों से लगाकर उसने शराब पीना चाहा । परन्तु बोतल उसके दाँतों से टकराई और वोदका उसके मुंह से निकलकर उसकी दादी और सीने पर फैल गई । ___ यासिली ने अपने कानों में गूजने की सी श्रावाज सुनी, उसका दिन जोर से धड़कने लगा और पीठ में असा पीड़ा हो उठी । "फिर भी मैं वुढ्ढा हूँ ! " उसने जोर से कहा और झोंपड़ी के दरवाजे पर धूल में गिर पर । । उसके सामने समुद्र फैला हुआ था । लहरें शोर मचाती हुई खेल रही थीं - हमेशा की तरह । वासिनी वत देर तक पानी की तरफ देखता रहा और अपने बेटे के उत्सुकता से कहे हुए उन शब्दों को याद करने लगा : काश कि यह सब धरती होवी ! काली धरती और अगर हम इसे जो सकते ! " इस किसान के मन में एक तीखा विचार उठा । उमने जोर से अपना सीना रगहा, चारों श्रार देता और एक गहरी सांस ली । उसका सिर नीचे को लटक गया और उसकी पीठ मुक गई मानो उस पर भारी योक रखा हो । गल्ले में सांस अटकने लगी जैसे उसका दम घुट रहा हो । टमने गरा माफ करने के लिए जोर से पांसा और अपने ऊपर प्रकाश की पोर देगये हुए पॉम का निशान बनाया । उसके मन में उदास विभार उसने बगे ।. . . . .. .. एक बदमाश औरत के लिए उसने " पनी मो यो घोट nि जिसके काय यह पन्नध वर्ष तक ईमानदारी से मेहनत करते हुए माथा. .. और इसके लिए भगवान ने टम पुत्र द्वारा विनोद परा पर रमे मतादी यो । हाँ , यही पात पी । हे भगवान !