पृष्ठ:गोर्की की श्रेष्ठ रचनाएँ.djvu/९१

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इन्सान पैदा हुश्रा के हरे वृत्तों का कालीन विछा दिया था । उनके हाथों द्वारा, पृथ्वी का यह स्वर्ग के समान सुन्दर भाग , मुग्ध कर देने वाले सौन्दर्य से जगमगा उठा था । . . इस संसार में मनुष्य का शरीर धारण करना सबसे बड़ा सौभाग्य है । कितनी अद्भुत वस्तुऐं वह चारों ओर देखता है । जब कोई व्यक्ति तन्मय होकर इस सौंदर्य को निहारता है तो उसके हृदय में एक अन्यक्त वेदनामिश्रित सुख लहरा उठता है । हाँ , यह विल्कुल सत्य है, कभी कभी इसका उपभोग व्याकुल बना देता है । तुम्हारे हृदय में एक तीन घृणा प्रज्वलित हो उठती है और दुख सुधा व्यक्ति के समान तुम्हारे हृदय का रफ चूसने लगता है - परन्तु यह अवस्था हमेशा नहीं रहती यहाँ तक कि कमी २ सूर्य भी मनुष्यों को अपने हृदय में असह्य अवसाद छिपाए देखने लगता है । उसने इनके लिये कितना परिश्रम किया और ये मनुष्य कितने दीन और दुखी बन गये हैं ... वास्तव में , यहाँ अच्छे आदमी भी काफी हैं परन्तु उन्हें सस्कार __ की अपेक्षा है । और सबसे अच्छा तो यह हो कि उनका पुन निर्माण किया जाय । मैंने अपनी बायो तरफ झाड़ियों से ऊपर उठे हुए काले सिरों का फोलाहल सुना । उनका यह स्वर समुद्र की लहरों के गर्जन और नदी की कलकल ध्वनि में मुश्किल से सुनाई दे रहा था । वे मनुष्यों को आवाजें थीं । ये लोग वे भूखे थे जो सुखुम से , जहाँ वे एक सड़क बना रहे थे, मोचेम चिरी को तरफ कोई नया काम पाने की श्राशा में जा रहे थे । मैं उन्हें जानता था । वे श्रोरेल के रहने वाले थे । मैंने उनके साथ सुखम् में काम किया था और हम लोगों को एक दिन पहले एक साथ ही , वेसन मिला था । मैं रात को उनसे पहले ही चल दिया था - इस प्राशा से कि समुद्र तट पर ठोक समय पर पहुच कर उदय होते हुए सूर्य को देख सस् । उनमें चार मजदर और एक गाल की ऊंची हड़ियाँ वाली किसान औरत थी जो गर्भवती यो । उसका बढा पेट बाहर निकल रहा था । उसकी