नवाँ अध्याय कार नहाँ, किंतु विशेष अवस्थाओं में उसकी कुछ बातों में हम सिफारिश कर सकते हैं । हमारे सामने सबसे बड़ी और पहली कठिनाई यह है कि हम दोनो जेल में बंद और कुछ समय से बाहरी संसार तथा आंदोलन से बिल्कुल अनभिज्ञ हैं । हमको तीन मास से किसी समाचार-पत्र के मँगा सकने की आज्ञा नहीं। गांधीजी स्वयं कई महीनों से जेल में हैं ! कांग्रेस की कार्यकारिणी कमेटी के सभासद् जेलों में बंद हैं, और कार्यकारिणी कमेटी स्वयं सैर कानूनी संस्था करार दे दी गई है ! जो आल इंडिया कांग्रेस-कमेटी देश के राजनीतिक संगठन की एक मात्र संस्था है, और जिसके संपूर्ण भारतवर्ष के ३६० सभासद् हैं, उसके सभासदों में ७५ फीसदी कार्यकर्ता हमारी ही तरह, आंदोलन से अलग करके, जेलों में बंद कर दिए गए हैं ! ऐसी अवस्था में, विना सब कार्यकर्ताओं से और विशेष- कर महात्माजी से परामर्श किए, हम लोग किसी प्रकार, सम- झौते की कोई निश्चित बात करके, अपने ऊपर उत्तरदायित्व नहीं ले सकते! गोल-सभा के संबंध में किसी नतीजे तक पहुँचना उस समय तक हम व्यर्थ और अनावश्यक समझते हैं, जब तक कि खास-खास बातों पर शतनामा न हो जाय । हमारा शर्तनामा ऐसा होना चाहिए, जिसमें न तो किसी प्रकार का भ्रम पैदा किया जा सके, और न वह किसी प्रकार बेकार ही साबित हो। सर तेजबहादुर सप्रू और मि० जयकर ने इसको बिल्कुल स्पष्ट
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