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पृष्ठ:गोल-सभा.djvu/१०२

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१२ गोल-सभा चीत करके अपनी माँग के कम-से-कम परिमाण पर शत-- नामा हो जाय, जिस पर उनको गोल-सभा में प्रत्येक अवस्था में खड़ा होना पड़े। मेरे लिये यह अधिकार होगा कि यदि स्वराज्य के विधान की एक-एक बात के निश्चय करने का समय आ जाय, तो मैं अपनी उन ग्यारह शर्तों के आधार पर उसकी व्यवस्था करने के लिये अपने आपको स्वतत्र सम. जिनका मैंने वाइसराय के नाम लिखे हुए पत्र में जिक्र किया है। २३।७।३० एम्० के० गांधी यरवदा सेंट्रल जेल दूसरे पत्र का प्राशय दूसरे पत्र का आशय यह था कि मैं जेल में बंद रहने के कारण अपने विचार नहीं स्पष्ट कर सकता । मैंने जो शर्त दी हैं, वे मेरे व्यक्तिगत संतोष के लिये हैं। मैं आदर-पूर्ण समझौते के लिये उत्सुक हूँ, पर वह दूर प्रतीत होता है । अंतिम निर्णय तो जवाहरलाल ही कर सकते हैं। हम लोग केवल सलाह दे सकते हैं। मैं स्थायी संधि किया चाहता हूँ। इन पत्रों को लेकर उक्त दोनो सज्जन २८ जुलाई को, नैनी- जेल में, नेहरू पिता-पुत्रों से मिले, और बहुत-सी बातचीत कर उनके दो पत्र ले फिर ३१ जुलाई को यरवदा जेल में महात्माजी से मिले । उन दोनो पत्रों का आशय इस प्रकार था- ....कांग्रेस के प्रतिनिधि होने की हैसियत से हमें उसके स्वीकृत प्रस्तावों में किसी प्रकार का परिवर्तन करने का अधि-