पृष्ठ:गोल-सभा.djvu/१०५

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नवा अध्याय दूसरा पत्र पंडित जवाहरलाल नेहरू ने महात्मा गांधी के नाम लिखा- नैनी-सेंट्रल जेल प्रिय बापूजी, यह हर्ष की बात है कि बहुत दिनों के बाद आपको पत्र लिखने का समय मिला, और वह भी एक जेल से दूसरी जेल के लिये। मेरी इच्छा है कि मैं अपने पत्र को विस्तार के साथ लिखू, किंतु मैं ऐसा कर न सकूँगा ! इसलिये मैं केवल उस मामले पर ही कुछ बातें लिखता हूँ, जो मेरे सामने है। मि० जयकर और डॉ० सप्रू कल यहाँ आए, और मुझसे तथा पिताजी से बहुत देर तक उन्होंने बातें की। आज वे फिर आवेंगे। उन्होंने सभी प्रकार की बातें मेरे सामने रक्खीं, और आपका दिया हुआ पत्र तथा नोट भी हम दोनो के सामने प्रकट किया। हमने वर्तमान मसले पर उनसे बातें की, और विना दूसरी भेंट का रास्ता देखे ही बहुत-सी बातें तय कर डाली, किंतु यदि दूसरी भेट में कुछ नई बातें पैदा हो सकती हैं, तो हम अपने इन विचारों को, जो इस समय हमारे सामने हैं, बदल देने के लिये तैयार हैं। हम अपने विचारों को इसके साथ के दूसरे पत्र में आपको लिख चुके हैं। हमारे विचारों के संबंध में आपको बहुत कुछ उस पत्र के द्वारा मालूम होगा । हमारा क्या व्यवहार होना चाहिए, इसके संबंध में हम और पिताजी आपकी बातों से पूर्ण रूप से सहमत हैं। आपके पत्र में लिखी हुई शतों में नंबर १