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पृष्ठ:गोल-सभा.djvu/११७

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नवां अध्याय १०७ (छ) प्रेस-ऑर्डिनेंस के कारण जब्त किए हुए प्रेस वापस करने में कोई अड़चन न होगी। (ज) मालगुजारी-कानून के अनुसार लिए हुए जुर्माने तथा जब्त एवं नीलाम की हुई संपत्ति अथवा रियासत पर तो तीसरे का अधिकार हो गया। जुर्माने की रकम का वापस करना भी कठिन हो गया । फिर भी यदि संभव हुआ, तो स्थानीय अधि- कारी उन मामलों पर फिर विचार करेंगे, और जहाँ तक होगा, वापस करने की शर्त को पूरा करेंगे। (झ) कैदियों को छोड़ने के संबंध में, २८ जुलाई को, हमको लिखे हुए पत्र में, वाइसराय ने स्पष्ट कर ही दिया है। इन मंतव्यों को पढ़कर नेहरू पिता-पुत्रों तथा डॉ० महमूद ने महात्माजी को एक पत्र लिखा, जिसे लेकर उक्त सज्जन फिर एक बार महात्माजो से मिले । वह पत्र इस प्रकार था- नैनी-सें-ल-जेल ३१1८। ३० सप्रू और मि० जयकर से भेंट करने का फिर हमको अवसर प्राप्त हुआ । इस भेट में उनसे खूब बातें हुई । वाइसराय ने २८ अगस्त को सर सपू और मि० जयकर के नाम जो पत्र लिखा था, उस पत्र को आगंतुक महानुभावों ने हमारे सामने रक्खा । इस पत्र में जो कुछ लिखा गया है, उससे स्पष्ट मालूम होता है कि हम लोगों ने सम- झौते के संबंध में सर सप्रू और मि० जयकर के नाम तारीख कल और आज सर