१०८ गोल-सभा १५ अगस्त को जो पत्र लिखा था, उसके अनुसार एक भी बात संभव नहीं हो सकी, और सर तेजबहादुर सपू तथा मि० जय. कर ने समझौते के लिये जो परिश्रम किया, वह बिल्कुल बेकार गया, उसका कोई भी नतीजा न निकला । ता० १५ अगस्त को कांग्रेस के नेताओं ने जो पत्र लिखा था, आप जानते हैं कि उस पर हस्ताक्षर करनेवालों ने पत्र को कितना सोच-विचार- कर लिखा था, और जो कुछ उसमें प्रस्तावित किया गया था, वह सब व्यक्तिगत शक्तियों के आधार पर था । उसमें हम लोगों ने जो लिखा था, उसका यह स्पष्ट अर्थ था कि तब तक कोई भी निर्णय संतोष-जनक नहीं हो सकता, जब तक हमारी प्रस्तावित बातों के खास-खास अंश पूरे नहीं हो जाते, और हमारी शतों के अनुसार ब्रिटिश सरकार संतोष-जनक घोषणा नहीं कर देती। यदि इस प्रकार की घोषणा हो जाय, तो सत्याग्रह-आंदो- लन स्थगित करने के लिये हम लोग कांग्रेस की कार्यकारिणी कमेटी से सिफारिश करेंगे, जिसके साथ ही हमारे आंदोलन के प्रति वाइसराय ने जो कानूनी हमले किए हैं, और जिनका हवाला हमारे पत्र में दिया जा चुका है, उन सबको ब्रिटिश सरकार वापस ले लेगी। यह तो था फिलहाल संतोष-जनक सम- झौता, जिसके आधार पर एक स्कीम तैयार की जाती, जिसका निर्णय लंदन में होनेवाली गोल-सभा में होता । लॉर्ड इरविन हमारी प्रस्तावित बातों पर बातचीत करना भी असंभव सम- झते हैं। ऐसी अवस्था में समझौते का कोई भी आश्रय नहीं है ।
पृष्ठ:गोल-सभा.djvu/११८
दिखावट