पृष्ठ:गोल-सभा.djvu/१२८

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1 गोल-सभा हम समझते हैं कि दोनो में जमीन-आसमान का अंतर है कहाँ पंडित मोतीलालजी के शब्दों में स्वतंत्र भारत के लिये गोल-सभा के द्वारा उत्तरदायित्व पूर्ण शासन की व्यवस्था और कहाँ वाइसराय के पत्र में वाइसराय और उनकी गवर्नमेंट और ब्रिटिश-मंत्रि-मंडल की इच्छा, जो भारतीयों को प्रबंध करने के संबंध में सहायता करने के लिये है, जिस पर वाइस- राय को कोई संदेह नहीं, और यह भी निश्चित है कि जिसके लिये भारत के लोग अभी समर्थ नहीं हैं । वाइसराय के पत्र में जिन बातों का आभास मिलता है, वह आभास इसके पहले भी सुधारों की टीका-टिप्पणी करते हुए Lansdowne Reforms के रूप में मिला था। पंडित मोतीलाल नेहरू, पंडित जवाहर- लाल नेहरू और डॉ. महमूद के हस्ताक्षरों के साथ जो पत्र लिखा गया था, उसमें उल्लेख की गई बातों के उपयुक्त होने में हमें बार-बार संदेह होता था, यद्यपि उसमें यह बताया गया था कि कांग्रेस को कौन-सा निर्णय स्वीकार हो सकता है। आपको वाइसराय से जो अंतिम पत्र मिला है, उसमें उन्होंने अपनी उन्हीं पुरानी बातों को दुहराया है, जिनको वे अपने पहले पत्र में लिख चुके थे। ऐसी अवस्था में हमने जो पत्र लिखा था, उस पर हमको पश्चात्ताप है। पत्र में जिन बातों का उल्लेख है, वे सार-हीन और अव्यवहार्य हैं, आपने यह कहकर परिस्थिति को और भी साफ कर दिया है। यदि म० गांधी ने साम्राज्य से पृथक् हो जाने के संबंध में प्रस्ताव करने का विचार किया, तो