पृष्ठ:गोल-सभा.djvu/१५२

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१३८ गोल-सभा गए, गए ही अनेक समुद्र पार करके यहाँ आए हैं।" फिर भी ये सज्जन, देश के विरोध करते रहने पर भी अपनी बड़ी आशाओं को लेकर और लोगों को आश्वासन दे गए कि जरा धीरज धरो, हम अवश्य स्वराज्य लेकर आते हैं। सर्दी की विशेष पोशाकें बनवाई गई थीं। विशेष अवसरों पर पहनने योग्य अलग-अलग सूट सिलवाए गए थे। खाने-पीने का आवश्यक सामान और फुटकर औषध आदि संग्रह की गई थीं। मौ० मुहम्मदअली तो लगभग अपने सारे परिवार को ही ले प्रस्थान से प्रथम किस प्रतिनिधि ने क्या-क्या बातें संगृहीत कों, सो तो कहना अशक्य है। परंतु सर सयू ने नैनी-जेल में जाकर मालवीयजी से कई घंटे तक गुप्त परामर्श किया था। जेल के कर्मचारी तक उपस्थित न थे। आखिर बड़ी-बड़ी अशाओं से ओत-प्रोत होकर, गवित भाव और गंभीरता से इन सजनों ने, बंबई से, जहाजों में, किया। तमाम यात्रा-भर उनके मस्तिष्क में लंबी-लंबी स्पीचों और विचारों के ड्राफ्ट उमड़े पड़ते होंगे । इनका विश्वास था कि हमारी वाक्पटुता लंदन की ईंटों को हिला देगी, और उनमें से स्वराज्य खनाखन बिखर पड़ेगा। इंगलैंड की भूमि पर पैर रखते ही गवर्नमेंट की ओर से मि० बेन, इंडिया ऑफिस के प्रतिनिधि तथा अन्य लोगों ने अपने मेहमानों का स्वागत किया। उन्हें हाइड-पाक के भव्य होटलों और महलों में ठहराया गया, जहाँ सब प्रकार की विलास- प्रस्थान