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पृष्ठ:गोल-सभा.djvu/१७५

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तेरहवां अध्याय में हस्तक्षेप नहीं होने देना चाहते । यदि अखिल भारतीय फेड रेशन से देशी नरेशों के अधिकार धीरे-धीरे छिन जाय, तो हमः ऐसे फेडरेशन को दूर से ही नमस्कार करते हैं।" लार्ड रीडिंग 'अब तक जो भाषण हुए हैं, उन्होंने मुझे प्रभावित किया है । इस कान्स का महत्त्व भी मैं अधिकाधिक समझने लगा हूँ। मैं पूर्वीय समस्याओं का जितना ही अधिक अध्ययन करता हूँ, उतना ही मुझे इसकी तीव्र गति का परिचय मिल रहा है। पूर्व पश्चिम को पराजय करने के लिये तीव्र गति से बढ़ने में तत्पर है। औपनिवेशिक स्वराज्य-शब्द अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया, इसकी व्याख्या नहीं की गई। किंतुः इसमें संदेह नहीं कि इसका अर्थ है “साम्राज्यांतर्गत दूसरे उपनिवेशों के समान अधिकार' । १९१७ ई० की घोषणा का अर्थ औपनिवेशिक स्वराज्य ही है, यह मैं लिबरल-दल के प्रति निधि की हैसियत से कह सकता हूँ। छोटे-छोटे विभेदों में पड़ने. की हमारी इच्छा नहीं । यद्यपि पहले मेरा ध्यान इनकी ओर जाया करता था, परंतु बाद के प्रश्नोत्तरों से मेरी शंकाएँ दूर हो गई हैं। पालियामेंट में भारत के विषय में वाद-विवाद करते समय मुझे तीनो दलों के एकमत हो जाने की आशा है। प्रति- ज्ञाओं को उल्लंघन करने की हमारे दल की इच्छा नहीं। पार्लिया- मेंट से समानाधिकार के विधानों के निर्माण की आशा करना अभी वृथा है। अभी तो सेना तथा परराष्ट्रनीति के संबंध में