पृष्ठ:गोल-सभा.djvu/१७४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

गोल-समा हूँ । अब वह समय निकल गया कि लोग पशु-बल से दबाए जा सकें। भारतीय अब पशु-बल-प्रदर्शन से डरनेवाले नहीं। ब्रिटेन और भारत के १२५ वर्षों के संबंध का खयाल करके ही मैं देश-द्रोही का दोषारोपण सहकर आया हूँ। यह अंतिम परीक्षा है। देखना है, अँगरेजों में उत्तीर्ण होने का साहस है या नहीं ? भारत सामाज्य के भीतर रहकर औपनिवेशिक स्वराज्य का उपयोग करना चाहता है, परंतु यदि अँगरेजों के भय और संदेह के कारण उसे औपनिवेशिक स्वराज्य न मिला, तो पूर्ण उत्तरदायित्व-पूर्ण सरकार के विना वह संतुष्ट न होगा। सर शमी ने कहा-'असहयोग-श्रांदोलन केवल शिक्षितों तक ही नहीं सीमित है, इसमें प्रशिक्षित भी हैं, और वे सब तरह का कष्ट सहन कर रहे हैं। "मुसलमान भी औपनिवेशिक स्वराज्य और समानाधिकार के अभिलाषी हैं । मुसलमान चाहते हैं कि ब्रिटिश-सामाज्य के अंतर्गत रहकर समानाधिकार प्राप्त कर शासन-विधान-संबंधी विकास में, प्रांतीय और केंद्रीय सरकारों में, उचित अधिकार पाएँ।" देशी नरेशों के अनुदार-दल की ओर से महाराज रीवा ने कहा-"शासन-सुधार सावधानी से होना चाहिए। भारत-सर- कार में कुछ परिवर्तन किए जाने पर भी हम अपने अधिकारों