तेरहवाँ अध्याय १६६ इस योजना में एकदम औपनिवेशिक शासन विधान और अधिकाधिक १० वर्षों में केंद्रीय सरकार के सब विभागों को उत्तरदायी वज़ीरों के हाथों में दे देने पर जोर दिया गया था । इसमें यह भी लिखा था कि जो भारतीय राजे स्वीकार करें, उन्हें फेडरल स्कीम में तत्काल सम्मिलित कर लिया जाय, और जो अभी हिचकते हों, उन्हें पीछे मिलाया जा सकता है। स्कीम में निम्न लिखी शर्त थीं- १-प्रारंभ से ही शासन-विधान को औपनिवेशिक आधार पर उठाया जाय, और उसको ऐसी नीति से चलाया जाय कि आगामी १० वर्षों में स्वतः औपनिवेशिक स्वराज्य स्थापित हो जाय । २-नए शासन की प्रांतीय तथा केंद्रीय सरकारें प्रारंभ से ही उत्तरदायी हों, अर्थात् कार्यकारिणी हर प्रकार व्यवस्थापिका सभाओं के प्रति उत्तरदायी रहे। ३-शासन को आस्ट्रलिया तथा कैनाडा के समान प्रांतीय तथा केंद्रीय दो भाग में विभक्त किया जाय । -केंद्रीय सरकार सुदृढ़ और सशक्त हो । डिफेंस (रक्षा) के कार्य को इससे छुड़ाकर इसे कदापि दुर्बल न बनाया जाय, और न भारतीय देशी रियासतों से इसका संबंध तोड़ा जाय । आजकल सेना, हवाई तथा सामुद्रिक शक्ति पर केंद्रीय सर- कार का अधिकार है, रियासतें भी इसके अधीन हैं। नए शासन में यह सब इसी प्रकार चलना चाहिए । अन्यथा यह कमजोर हो जायगा । हाँ, परीक्षा के १० सालों में विशेष सुरक्षित अधि-
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