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पृष्ठ:गोल-सभा.djvu/१९४

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गोल-सभा हुआ है। भारतवासी बराबरी का अधिकार चाहते हैं। उनकी माँग औपनिवेशिक स्वराज्य की है। पिछले कुछ महीनों से इस देश में जो सत्याग्रह-नांदोलन चल रहा है, उसने काफी स्पष्ट रीति से राष्ट्रीय शक्ति प्रकट कर दी है। उसकी कमजोरियाँ भी प्रकट हुई हैं । पढ़े-लिखे हिंदू- मात्र उसमें सहयोग दे रहे हैं। जिन्होंने किन्हीं कारणों से आंदोलन में प्रत्यक्ष भाग नहीं लिया है, वे भी उसके उद्देश्यों से निश्चय ही सहानुभूति रखते हैं । इसमें भी संदेह नहीं कि अल्प-संख्यक जातियाँ और समूह भी इन प्रधान राष्ट्रीय आकां- क्षाओं का समर्थन करते हैं। पत्र में लिखा गया है कि हम राष्ट्रीय माँग का उल्लेख करते हुए उस उग्र दल को छोड़ देते हैं, जो नवयुवकों से बना है, जो काफी महान है, और जो ब्रिटेन से बिल्कुल संबंध-विच्छेद कर डालना चाहता है। ऐसे दल से किसी प्रकार का समझौता संभव नहीं। योरपियन सम्मति भारत के योरपियन व्यवसायी १६१६ से इधर लगातार भारत के प्रति उदार विचार रखते थे, पर वर्तमान बहिष्कार- आंदोलन से वे बिगड़ उठे हैं, और इस प्रकार का दुर्व्यवहार सहन नहीं करना चाहते। असंतोष-जनक अवस्था आगामी विधान बनाने में भारत की वर्तमान असंतोष-जनक