१८४ गोल-सभा भविष्य शासन-विधान के संबंध में नौकरशाही के प्रति और भी अधिक अविश्वास उत्पन्न होगा।" 'मुस्लिम-आउटलुक' ने खरीते को अत्यंत निराशाजनक बतलाया। उसका कहना है-"अब मुसलमानों को अपनी स्थिति पर अत्यंत गूढ़ विचार करना चाहिए, क्योंकि पंजाब में उनके विशेष अधिकार छीने जा रहे हैं । संयुक्त चुनाव के द्वारा उन्हें अब अपना मतलब सिद्ध करने का विचार छोड़ देना चाहिए। अल्प-संख्यक मुस्लिमों के अधिकारों की रक्षा के लिये गवर्नर को केवल वीटो का अधिकार दिया गया है। इसलिये इस पत्र की सम्मति में यदि मुसलमानों के अधिकारों की रक्षा का केवल यही उपाय बचा है, तो वे गवर्नमेंट द्वारा अपनी रक्षा नहीं कराना चाहते।" 'बांबे-क्रॉनिकल' की सम्मति में यह खरीता 'घाव पर नमक छिड़कता है। उसने अपने अग्र लेख में खरीते का घोर विरोध किया, और शास्त्री, सपू, जिन्ना और जयकर तथा उनकी पार्टियों के लोगों ने लॉर्ड इरविन की प्रशंसा के जो पुल बाँधे हैं, उनकी खब खिल्ली उड़ाई! 'टाइम्स ऑफ इंडिया' ने लिखा था-खरीते का सबसे अधिक मूल्य इसमें है कि वह साइमन कमीशन से अधिक अधिकार देता है।" कलकत्ते के 'एडवांस' का कहना है कि "खरीता भारत के राष्ट्रीय जीवन की उन्नति का घोर विरोधी है। उसमें न तो औप-
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