पृष्ठ:गोल-सभा.djvu/२०३

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.nahaneer चौदहवां अध्याय १८५ निवेशिक राज्य की झलक है, और न भविष्य में देने का कोई वचन । भारत की समस्याओं को हल करने का कोई प्रयत्न नहीं किया गया।" 'लीडर'-संपादक श्रीचिंतामणि का कहना है कि "यद्यपि कई प्रकार से खरीता साइमन-रिपोर्ट से अच्छा है, परंतु वह अत्यंत निराशाजनक है, और मैं उससे बिल्कुल असंतुष्ट हूँ।" भूतपूर्व एम० एल० ए० सर पुरुषोत्तमदास-ठाकुरदास ने खरीते के संबंध में लिखा है-"मुझे यह जानकर सख्त अफ- सोस होता है कि एक ऐसी व्यवस्थापिका सभा, जिसके अध्यक्ष लॉर्ड इरविन हैं, भारत के लिये इस खरीते से अच्छा, राज- नीति-पूर्ण विधान की आयोजना न कर सके। खरीते में जो है, केवल वही यदि भारत को दिया जानेवाला है, तो मुझे डर है कि भारत और गवर्नमेंट, दोनो को एक लंबे युद्ध और क्रांति के लिये तैयार हो जाना चाहिए।"