१८७ पंद्रहवाँ अध्याय constitutional समस्या हल करने को बैठाई गई । रात्रि को इसी दिन एक गुप्त सभा हिंदू-मुसलिम-सदस्यों की इस बात पर विचार करने को हुई कि जब तक हिंदू-मुस्लिम-समस्या न हल हो जाय, अल्प-संख्यक जातियों का विषय न छेड़ाजाय। जिन्ना की १४ शर्तों पर खूब बहस हुई। पृथक् चुनाव, संधि का पृथक्करण, सीमा-प्रांत के सुधार तथा 'नौकरियों में अपेक्षित संपात' आदि विषयों पर विचार होता रहा । अंत में कुछ भी निर्णय न होकर अगले दिन के लिये सभा मुलतवी करा दी गई। १७ ता० को दूसरी बार फिर संयुक्त बैठक हुई, और मिचिंतामणि ने प्रेस- प्रतिनिधियों के प्रवेश की वकालत की, पर अस्वीकृत हुई। इसी दिन एक पब्लिसिटी-कमेटी बनाई गई, जिसके सदस्य मि० बैन, मि० रशत्रुक विलियम तथा मिचिंतामणि थे। इस दिन सर सप्र का भाषण मार्के का रहा । १५ ता० को अल्प-संख्यक कमेटी ने ३ घंटे विवाद किया। सम्मिलित चुनाव और नौकरियों की भरती का विषय प्रधान रहा । मुसलमान-प्रतिनिधि आबादी के आधार पर चुनाव चाहते थे। निर्णय कुछ नहीं हुआ। १८ नवंबर को गोल-सभा का अधिवेशन हुआ, और इस बात पर बहस प्रारंभ हुई कि भावी शासन-प्रणाली Federal हो या unitary Lasis पर हो । हिन हाइनेस आगाखाँ ब्रिटिश भारत के प्रतिनिधियों के सभा- पति चुने गए थे। इस पर राजनीतिज्ञों में बड़ा विस्मय फैला। देशी नरेशों के मंत्रियों की जो कमेटी नियुक्त होकर संघात्मक प्रणाली
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