गोल-सभा पर विचार करने बैठी थी, उसने निर्णय किया कि नवाब भूपाल, महाराज बीकानेर तथा महाराज काश्मीर की एक सब-कमेटी सब सिफारिशों को सुनकर अंतिम प्रस्ताव निर्णय करे। १८ नवंबर को एक कमेटी बनाई गई, जिसका नाम फेडरल- रिलेशंस-कमेटी रक्खा गया। इसमें लॉर्ड संकी, लॉर्ड पील, लॉर्ड जटलैंड, लॉर्ड रीडिंग, मारक्विस ऑन लोथियन तथा मिस्टर बेन ब्रिटिश-प्रतिनिधि चुने गए । प्रधान मंत्री भी इसके मेंबर थे। इसके कुल २३ मेंबर थे।६ ब्रिटिश,१० भारतीय रज- वाड़े और १६ ब्रिटिश भारत के प्रतिनिधि । देशी राज्यों की ओर से नवाब भूपाल, महाराज बीकानेर आदि और ब्रिटिश भारत की ओर से भी शास्त्री, सपू, जिन्ना, शफ़ी आदि थे। इसका काम फेडरल शासन-विधान तैयार करना था। कुछ सदस्यों के विरोध करने पर इसका नाम बदलकर Constitutional Staucture कमेटी रक्खा गया, और अन्य प्रतिनिधियों की सलाह सुनने का भी वचन दिया गया। २३ नवंबर को देशी राज्यों के प्रतिनिधियों ने यह निर्णय प्रकट किया कि- १-वे सम्राट को मानेंगे। २-सेना तथा अन्य रियासती-संबंधी मामलों में उच्चतम शासक के अधीन रहेंगे। ३-रियासतों को सरकारी इलाकों के बराबर प्रतिनिधित्व दिया जायगा।
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