पंद्रहवां अध्याय १६६ होगा कि अब क्या किया जाय । भारतीय स्वतंत्रताओं को मर्यादित करने के हमारे अधिकार और शक्तियाँ अप्रतिहत हैं। भारतवासियों को अपनी सरकार के साथ निश्चय कृतज्ञता- पूर्वक सहयोग करना चाहिए । ठहरने की स्वतंत्रता है "हम अपने कदम वापस उठाने, आगे न बढ़कर पीछे लौटने के लिये इस समय स्वतंत्र हैं। जब तक कि ये भाव ईमानदारी और प्रेम से न देखे जायेंगे, तब तक पार्लियामेंट का फैसला बिल्कुल उचित है। "लेकिन यहाँ एक बहुत गंभीर खतरे की ओर मुझे ध्यान करना चाहिए । राउंड टेबिल में आए हुए ये भारतीय सज्जन और अमीर-उमराव, किसी भी रूप में, उस शक्ति के प्रतिनिधि नहीं हैं, जो इस समय अँगरेजी राज्य से मुकाबला कर रही है। "यह सच है कि गति के प्रवाह में पड़कर उनमें से अनेकों ने बड़ी-बड़ी माँगें पेश की हैं, लेकिन इसमें किए गए किसी भी समझौते को कांग्रेस पार्टी से स्वीकृत कराने की तनिक भी जिम्मे- दारी का साहस उनमें नहीं है। खतरा यह है कि लंदन में सम- झौता करने की मूर्खता-पूर्ण चेष्टा से सोशियलिस्ट गवर्नमेंट स्वयं अपने हाथ से self गवर्नमेंट की रियायतों और विस्तारों का आत्मघात कर लेगी, जिनसे भविष्य में इन भयंकर शक्तियों से अपने इच्छानुसार समझौता करने में हमारा जोर कुछ न रह जायगा।
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