पृष्ठ:गोल-सभा.djvu/२१९

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केवल आत्म- पंद्रहवाँ अध्याय २०१ विश्वास-पूर्वक पूर्ण किया है, और जिसने शताब्दियों से विप- त्तियों और कठिनाइयों को कुशलता से सहन किया है, अब म-विश्वास और मानसिक शक्ति के अभाव में स्वय, ही अपना शिकार बन जायगी।" भाषण पर महाराज बीकानेर का वक्तव्य इस भाषण पर महाराज बीकानेर ने कहा था- "हमारा विश्वास है कि इस अवसर पर हमारा सबसे बड़ा कार्य यह है कि हम भारत में शांति और संतोष फैलाने और उसे वैभव-संपन्न बनाने का भरसक प्रयत्न करें। क्या कोई बुद्धि- मान व्यक्ति इस बात पर विश्वास कर सकता है कि भारत का अधिकांश विचारवान् जन-समुदाय नौकरशाही के स्थायी आधिपत्य से संतोषित रह सकता है या उसे तलवार और पशु- बल के सहारे काबू में रक्खा जा सकता है ? ऐसे स्वप्न देखना राजनीति और ब्रिटिश-उदारता के सर्वथा विरुद्ध है । अत्यंत गूढ विचार के अनंतर हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि हमारे महान् उद्देश्य की सिद्धि संयुक्त-शासन ( Federal constitu- tion )-प्रणाली की स्थापना द्वारा ही हो सकती है, जिसमें ब्रिटिश भारत और देशी रियासतें मिलकर एक बृहत् भारत का रूप धारण कर लेंगी, और दोनो प्रजा मिलकर एक ही से विचारों और कार्यो के सूत्र में बंध जायँगी । इसी महत् उद्देश्य की सिद्धि के लिये रियासतें अपनी सार्वभौम शक्ति का कुछ अंश संयुक्त गवर्नमेंट को देने के लिये तैयार हो गई हैं। क्योंकि