पंद्रहवां अध्याय २०७ इस संबंध में भारत के साथ ही ब्रिटेन के भी हितों का विचार करना अवश्यंभावी है । अंत में वर्तमान ऋण, भावी ऋण, पेंशन तथा विनिमय की दर का उल्लेख करते हुए आपने कहा कि भारत की अभिलाषाओं को पूरा करने के लिये जहाँ तक संभव हो सकेगा, वहाँ तक अधिक अधिकार प्रदान करने की व्यवस्था की जायगी। आपने छठे शीर्षक को निम्नलिखित भागों में विभक्त करके उन पर अलग-अलग विचार करने की आवश्यकता बतलाई- (१) कार्यकारिणी का संगठन, उसके सदस्यों की संख्या और उनकी नियुक्ति का अधिकार तथा गवर्नर जनरल की उसके भीतर क्या स्थिति रहेगी ? (२) कार्यकारिणी की महत्ता कैसी हो, शासन किस प्रकार सुदृढ़ हो सके, इसकी अवधि कितनी हो, क्या कुछ विभाग इसके अधिकार से हटा देने चाहिए ? (३) फेडरल कार्यकारिणी के अधिकार और उत्तरदायित्व का संबंध, देश की रक्षा, वैदेशिक संबंध, कानून और शांति-रक्षा तथा अर्थ-शास्त्र के साथ रहेगा। अंत में लॉर्ड शैंकी ने इस बात पर जोर दिया कि उपर्यत सभी विषयों से गवर्नर जनरल का संबंध अवश्य रहेगा, इसलिये कार्यकारिणी से पृथक् गवर्नर जनरल के संबंध में बहस करना आवश्यक नहीं। चुनाव इसके बाद सब-कमेटी में सेंट्रल व्यवस्थापक परिषद तथा लोअर हाउस के सदस्यों के चुनाव पर बहस छिड़ी। अधिक
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