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पृष्ठ:गोल-सभा.djvu/२३६

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गोल-सभा में कई निश्चयों पर पहुंच चुकी है, मगर प्रत्येक सदस्य को अब भी अधिकार है कि वह अपनी सम्मति प्रकाशित करे। आज की बहस में लॉर्ड चांसलर ने कहा कि हमारा काम केवल मूल-भूत सिद्धांतों के अनुकूल और प्रतिकूल विचारों की स्थापना कर देना था। इंगलैंड तथा हिंदोस्तान में अभी हमसे अधिक कुशल ऐसे बहुत-से राजनीतिज्ञ हैं, जिनकी इससे पहले कि हम आखिरी नक्शा तैयार करें, राय जान लेना बहुत जरूरी है। लॉर्ड रीडिंग ने भी यही कहा कि हमें याद रहना चाहिए कि ये परिणाम केवल अस्थायी हैं। हमारा काम सिद्धांत निश्चित करना है, न कि शासन-विधान तैयार करना । सर मुह- म्मद शमी ने मुसलमानों की ओर से बोलते हुए कहा कि मैंने जब पहले भाषण किया था, तो मुझे उम्मीद थी कि अंतिम बहस से पहले तक हिंदू-मुस्लिम समस्या का निर्णय हो चुकेगा । मेरी यह आशा पूरी नहीं हुई, और मुझे यह आवश्यक हो गया कि मैं १९२७ की अ० भा० मुस्लिम-कान्स के प्रस्तावों के शब्दों में यह जाहिर कर दूं कि कोई भी शासन-विधान, चाहे किसी का भी बनाया हुआ हो, भारतीय मुसलमानों द्वारा तब तक स्वीकृत नहीं किया जायगा, जब तक कि वह मुसलमानों के अल्प-संख्यक हितों की रक्षा का काफी बंदोबस्त नहीं कर देगा। मि० जिन्ना ने भी कहा कि हिंदोस्तान के किसी भी शासन-विधान के बनने से पूर्व हिंदू-मुस्लिम-समस्या हल हो जानी चाहिए। कोई भी शासन-विधान, जो मुसलमानों के हितों की रक्षा की पूरी