दूसरा अध्याय विख्यात है। उनके कष्ट अनगिनत हैं। उनके पशुओं के लिये गोचर भूमि नहीं, उनके स्वास्थ्य की व्यवस्था नहीं । वह लगान और साहूकार के ब्याज में पिसकर मर रहे हैं। शिक्षा की दशा सुनिए । फ्री-सदी २.८ बच्चों को शिक्षा मिल रही है, जो किसी भी सभ्य देश के लिये लज्जा की बात है । ५५ लाख विद्यार्थियों की शिक्षा में जितना धन खर्च किया जाता है, वह अति नगण्य है । इस समय इंगलैंड और वेल्स में स्कूल जानेवाले बच्चों की संख्या ६० लाख है। स्वास्थ्य को दशा नगर और ग्राम सर्वत्र ही अति भयानक है। छूत और संक्रामक रोग प्रायः नित्य बने रहते हैं, और भारतीयों की परमायु का औसत २३.५ है, जो अतिशय दय- नीय है। अस्पतालों में जिस प्रकार रोगियों की दुर्दशा होती है, उसे भुक्तभोगी ही जानते हैं। हर हालत में ग्रेट ब्रिटेन के संसर्ग में भारत दुखी, रोगो, दरिद्र और विकास से रहित एवं मूर्ख ही रह रहा है। YAG.
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